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थर्ड जेंडर समुदाय की पहचान के लिए जिला स्तरीय समितियां

रायपुर(ब्यूरो)। राज्य सरकार ने तृतीय लिंग (थर्ड जेंडर) समुदाय की पहचान और उन्हें शासन की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सभी जिलों में जिला स्तरीय समितियों के गठन का आदेश जारी कर दिया है। समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार हर जिले में कलेक्टर या अपर कलेक्टर इस समिति के अध्यक्ष होंगे। समिति में संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, एक सामाजिक कार्यकर्ता, तृतीय लिंग...

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संशोधन की आड़ में लूटने की तैयारी

सीएनटी एक्ट में संशोधन वर्ष 1929, 1938, 1947, 1969, 1996 में हो चुका है. आज फिर इसमें संशोधन किये जाने पर कई सारे तर्क दिये जा रहें हैं. बेशक इसको लेकर सीएनटी एक्ट के दायरे में आनेवाले क्षेत्र के आदिवासियों के बीच ही इसके लाभ-हानि पर बहस होनी चाहिए. उसके पश्चात 27.9.2014 को राज्य की जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की बैठक में जिस तरह इसमें संशोधन का प्रस्ताव पारित कराया...

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थर्ड जेंडर को स्वरोजगार के लिए ट्रेनिंग देगी सरकार

रायपुर। थर्ड जेंडर समुदाय के लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्वरोजगार के लिए कौशल उन्नयन कार्यक्रम के तहत फैशन डिजाइनिंग, फिजियोथेरेपी, कुकिंग और टेलरिंग जैसे कार्यों में प्रशिक्षित किया जा सकता है। मुख्य सचिव विवेक ढांड ने मंगलवार को मंत्रालय (महानदी भवन) में थर्ड जेंडर के व्यक्तियों के लिए विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के संबंध में समाज कल्याण विभाग की बैठक ली। मुख्य सचिव ने शीघ्र...

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छत्‍तीसगढ़ के सरकारी दस्तावेजों में 'सेक्स' नहीं, अब जेंडर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारी दस्तावेजों में अब सेक्स के स्थान पर लिंग (जेंडर) लिखा जाएगा। इसमें 'पुरुष', 'महिला' के अलावा 'तृतीय लिंग' वर्ग का भी विकल्प दिया जाएगा। राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की अनुशंसाओं के आधार पर तृतीय लिंग वर्ग के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए यह निर्णय लिया है। राज्य सरकार के सभी विभागों, निगमों,...

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खरीद-बिक्री रोकने में असमर्थ हो चुका है सीएनटी एक्ट- जय कुमार दास

संताल परगना और छोटानागपुर प्रमंडल में सीएनटी/ टेनेन्सी एक्ट को खास कर इसलिए लागू किया गया था कि इन क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों (आदिवासी-गैर आदिवासी) की जमीन को धनाढय़ लोग औने-पौने में ना ले लें? परंतु अंतिम सेटलमेंट सन 1924-25 (संताल परगना) से यह साफ जाहिर होता है कि इन क्षेत्रों में जमीन की खरीद-बिक्री हुई है और उसे कानूनी जामा भी पहनाया जा चुका है. सीएनटी-टेनेन्सी एक्ट का आज...

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