नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। तारने वाली गंगा के पानी के मारक होने पर बहस हो सकती है मगर एक बात तय है कि अब गंगाजल आचमन तो छोड़िए नहाने लायक भी नहीं है। भागीरथी के दामन से प्रदूषण के दाग धोने पर अरबों रुपया बहाने के बावजूद सरकार के तथ्य बताते हैं कि कि गंगोत्री से लेकर डायमंड हार्बर के बीच अधिकतर स्थानों पर गंगा जल से दूर ही रहने में भलाई है। ...
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भोपाल त्रासदी के ढाई दशक
हममें से ज्यादातर लोगों के लिए भोपाल गैस त्रासदी एक औद्योगिक दुर्घटना है, जिसने 25 साल पहले से लेकर आज तक हजारों लोगों की हत्या की है और लाखों को तबाह कर दिया है। इस...
More »तेजी से पिघल रहे हैं हिमालयी ग्लेशियर
हिमालय के पिघलते ग्लेशियर को लेकर अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणवादियों और भारत सरकार के बीच लगातार विवाद बना रहता है।भारत सरकार मानती है कि पर्यावरणवादी हिमालयी ग्लेशियर के पिघलने की बात को बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं।हाल ही में आई एक नई रिपोर्ट से भारत सरकार और पर्यावरणवादियों की बहस पर विराम लगने की संभावना है क्योंकि इस रिपोर्ट में हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की दर की माप-जोख की गई है।(देखें नीचे दी गई लिंक) हिमालय के ग्लेशियर वैश्विक...
More »पूर्वानुमानों से कहीं ज्यादा तेज है जलवायु परिवर्तन की गति
400 की तादाद में मुख्य वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित यूएन की हालिया पर्यावरण रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का खतरा पहले के अनुमानों से कहीं अधिक है।यूएनईपी क्लाइमेट चेंज साईंस कंपेडियम 2009 की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि समुद्र तल साल 2100 तक 2 मीटर ऊँचा उठ सकता है।(देखें संबंधित रिपोर्ट की नीचे दी गई लिंक)। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लेशियर, हिमाच्छादन और ध्रवीय प्रदेशों का नाश अनुमान से...
More »भू-अधिग्रहण और पुनर्वास बिल का विरोध
भूमि अधिग्रहण (संशोधन) और पुनर्वास बिल को चालू संसदीय सत्र में पास पास करवाने की हड़बड़ी दिखाने के कारण यूपीए सरकार की भूरपूर आलोचना हो रही है।दोनों बिल को गरीबी-विरोधी माना जा रहा है क्योंकि इन बिलों के प्रावधानों से जाहिर होता है कि किसान अपनी जमीन से वंचित किए जायेंगे और इनका भारी संख्या में अपने वास स्थान से विस्थापन होगा। उपर्युक्त दोनों बिलों को पास करवाने की हड़बड़ी का...
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