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दुग्ध उत्पादकों की रक्षा व पोषण के लिए कड़े कदम जरूरी: निर्मला

मेहसाणा - दुग्ध उत्पाद की रक्षा व पोषण करने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए। यह कहना है श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वी. कुरियल की बेटी निर्मला कुरियन का। रविवार को डॉ. वी. कुरियन की याद में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मेहसाणा स्थित डॉ. वी. कुरियन शैक्षणिक केंद्र का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि देश की कृषि सकल घरेलू उत्पाद में दूध का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके...

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मॉनसून के भरोसे खेती कब तक ?

बिहार में खरीफ की खेती अब भी वर्षा पर निर्भर है. सरकार हर साल कई करोड़ रुपये जल संसाधन पर खर्च करती है, लेकिन अब भी 93.6 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से केवल 56.03 लाख हेक्टेयर जमीन में ही शुद्ध रूप से खेती होती है और केवल 33.57 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि ही सिंचित है. मॉनसून अगर साथ दे, तो किसानों का सौभाग्य और अगर वह दगा दे, तो...

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सबसे बड़ा खाद्यान्न निर्यातक बनेगा भारत

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कभी दुनिया के आगे अनाज के लिए हाथ फैलाने वाला भारत जल्दी ही सबसे बड़ा खाद्यान्न निर्यातक देश बन जाएगा। इतना ही नहीं ग्लोबल स्तर पर खाद्यान्न की कीमतें भारत के किसान तय करने लगेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने यह दावा 16वें भारतीय सहकारी कांग्रेस में किया है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल स्तर पर चावल व गेहूं निर्यात में भारत प्रमुख देश बन चुका...

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आपदा का खोखला प्रबंधन!

उत्तराखंड में प्रकृति की विनाशलीला शायद कम हो सकती थी, अगर समय रहते इससे निबटने के लिए जरूरी इंतजाम कर लिये गये होते. लेकिन सीएजी की रिपोर्टो और नागरिक समाज द्वारा दी जानेवाली चेतावनियों के बावजूद भी सरकार नहीं चेती. कैसे काम करता है हमारा आपदा प्रबंधन तंत्र, आपदाओं का सफलतापूर्वक सामना करने में क्यों चूक जाते हैं हम, बता रहा है नॉलेज.. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हमलोग...

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उत्तराखंड के सबक- रोहित जोशी

जनसत्ता 21 जून, 2013: पिछले सालों में बरसात का मौसम उत्तराखंड के लिए तबाही का मौसम साबित हुआ है। अबके मानसून की पहली बारिश ही उत्तरकाशी, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन का मंजर लेकर आई है। जबकि अभी बरसात का पूरा मौसम बाकी है। यों तो आंख मूंद कर इन आपदाओं को सिर्फ प्राकृतिक माना जा सकता है और आपदा-राहत में...

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