नई दिल्ली: 30 मई को गृह मंत्रालय ने विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 के कुछ प्रावधानों में संशोधन करने संबंधी एक अधिसूचना जारी की. सुर्खियों में रही इस खबर ने सीमा के आर-पार प्रवासी और ‘विदेशी' करार दिए गए व्यक्ति को देश से बाहर करने की प्रक्रिया (डिपोर्ट) को लेकर सवालों को जन्म दिया है. 1964 के आदेश में क्या कहा गया था और यह हालिया संशोधन उसमें कैसे बदलाव लाता है...
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पर्यावरण है जीने का अधिकार: गोपाल कृष्ण
भारत में पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती नीतिगत स्तर पर है. पर्यावरण को अगर नुकसान करना बंद कर दिया जाये, तो वह खुद ही सुधरना शुरू कर देता है. एक तरफ तो उसके नुकसान की प्रक्रिया जारी रहती है और साथ ही उसे बचाने की बात होती है. पर्यावरण को नुकसान पहुंचानेवाली नीतियों और परियोजनाओं पर रोक लगायी जाए. उसके बाद ही बचाने के बारे में सोचा जाए. नदी...
More »विपक्ष के इस हश्र में कुछ नया नहीं- हरजिंदर
अगर आम चुनाव में नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी की जीत दुनिया की सबसे बड़ी जीत है, तो विपक्षी दलों की हार को क्यों न दुनिया की सबसे बड़ी हार मान लिया जाए? यह तय है कि विपक्षी दल इस तरह के तर्क को स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन बहुत से लोग ऐसा मान चुके हैं और शायद इसीलिए विपक्ष को मिलने वाली लानतों का ढेर लगातार ऊंचा होता जा रहा...
More »कम नहीं चुनाव आयोग की शक्तियां- नवीन चावला
भारत में जाति पर बहस राजनीतिक परिणामों की एक निर्धारक है। यह वर्ष 2019 के आम चुनाव सहित भारत में तमाम चुनावों की एक रोचक विशिष्टता है। यह ऐसी निर्धारक है कि मतदाताओं के बीच अति लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चुनाव अभियान में अपनी जातिगत पहचान बतानी पड़ती है। उत्तर और केंद्रीय भारत की ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियों को किसी जाति या बिरादरी विशेष के लिए पहचाना जाता है।...
More »चुनावी हंगामे में रोजगार का मसला- हरजिंदर
इस बार आम चुनाव के दो थीम सॉन्ग हैं- रोजगार और कैश ट्रांसफर। ये दोनों गरीबी हटाने के सपने का हिस्सा हैं। कैश ट्रांसफर के सारे वादे सीधे और स्पष्ट हैं, जो छह हजार रुपये सालाना से शुरू होकर 72 हजार रुपये तक जाते हैं, साथ में कुछ पेंशन योजनाएं वगैरह भी हैं। लेकिन रोजगार के बारे में इतनी स्पष्ट बात नहीं की जा रही। पिछली बार भारतीय जनता पार्टी...
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