“अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी” घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! -शलभ श्री राम सिंह हम भारत के लोग ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। आज लगभग 70 साल के बाद देश का शासक...
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पर्यावरण की साथी स्त्रियां
पर्यावरण आंदोलन के उदय का मुख्य कारण पर्यावरणीय विनाश ही रहा है। आलोचकों का कहना है कि स्वाधीनता पाने के बाद से पश्चिमी अनुभव पर आधारित आर्थिक विकास के प्रतिमानों की नकल उतारने की वजह से भारत में प्राकृतिक संसाधनों पर संघर्ष तीव्र हुए। दूसरा, विकास योजनाओं का संसाधनों के सामाजिक पहलुओं से अनजान होना भी संसाधनों के शोषण और उस पर निर्भर लाखों ग्रामवासियों की बदहाली का कारण है।...
More »झाबुआ के हलमा को गहराई से देखने की कोशिश कीजिए, वर्ल्ड बैंक उथला नज़र आएगा
वह भीषण गर्मी का महीना था, साल 1998, तारीख थी 11 मई, उस दिन पोखरण में ‘बुद्ध मुस्कराए’ थे. इस मुस्कुराहट का स्वाभाविक परिणाम यह हुआ कि दुनिया के तमाम ताकतवर देश मुस्कराना भूल गए. आनन-फानन में कई प्रतिबंध भारत पर लगा दिए गए. अमेरिकी दबाव इस कदर था कि भारत के पुराने दोस्त रूस ने भी हमें क्रायोजनिक इंजन देने से मना कर दिया. उस समय भारत के प्रधानमंत्री...
More »NRC को पूंजीवादी दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए
एनआरसी को अभी तक सिर्फ़ कम्युनल और संवैधानिक दृष्टि से ही देखा गया है। एनआरसी पूंजीवादी के कितना काम आ सकता है, किस तरह काम आ सकता है इस पर भी एक नज़र डाल लेना चाहिए। क्योकि पूंजीवादी जब फासीवाद को अपना हथियार बना लेता है तो दमन और क्रूरता के सारे पुराने मापदंड टूट जाते हैं।इसे समझना हो तोलोकल इंटेलिंजेंस यूनिट के हवाले से लिखी गई अमर उजाला की...
More »“आम आदमी को नहीं मालूम कि कांग्रेस की विचारधारा क्या है”, दार्शनिक राठौड़
आकाश सिंह राठौड़ दार्शनिक हैं, जिन्होंने भारतीय राजनीतिक विचार, न्यायशास्त्र, मानव अधिकारों और दलित नारीवादी सिद्धांत के दर्शन पर काम किया है. राठौड़ ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, बर्लिन विश्वविद्यालय और न्यू जर्सी स्टेट यूनिवर्सिटी में अध्यापन किया है. फिलहाल वह रोम (इटली) के लुइस विश्वविद्यालय से संबद्ध एथोस नामक थिंक टैंक से जुड़े हैं. वह रीथिंकिंग इंडिया श्रृंखला के संपादक हैं जो 14 संस्करणों का एक संग्रह है....
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