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भारतीय जीडीपी में 2020-21 की पहली तिमाही में 23.9% की रिकॉर्ड गिरावट, राजकोषीय स्थिति भी बेहद खराब

द प्रिंट, कोविड-19 संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े सोमवार को जारी किए. इन आंकड़ों में जीडीपी में भारी गिरावट दिखी है. सकल घरेलू उत्पाद में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण की...

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अर्थात्ः आने वाला कोई तूफान है!

-इंडिया टूडे, प्रत्येक शांति शुभ नहीं होती! जैसे तूफान से पहले की शांति. बैंक की बोर्ड मीटिंग से निकलते हुए पुराने बैंकर ने यह बात कही और फिर ऑफिस के गलियारों में गुम हो गया. उधर, बैंक के आला अफसर ताजा सुर्खियों के मतलब समझने में जुटे थे. ■ नीति आयोग ने तीन बैंकों (पंजाब ऐंड सिंध, यूको, बैंक ऑफ महाराष्ट्र) का तत्काल निजीकरण करने को कहा है, जिन्हें कोई बड़ा सरकारी...

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मोदी सरकार और रिजर्व बैंक 2008 के संकट में की गई भूलों से सबक ले सकते हैं, मगर समय हाथ से निकल रहा है

-द प्रिंट, लॉकडाउन में पांचवां महीना बीत रहा है मगर कोविड-19 की महामारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है और अर्थव्यवस्था निरंतर नीचे फिसलती जा रही है. आधुनिक भारत ने ऐसी महामारी पहले नहीं झेली थी, लेकिन इसका आर्थिक प्रभाव जाना-पहचाना है— सुस्त आर्थिक वृद्धि, ऊंची मुद्रास्फीति, और बेहिसाब बुरे कर्जों का घातक मेल. 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) के बाद के दौर में भी यही स्थिति थी....

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आंकड़े बताते हैं, लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए आयुष्मान भारत योजना ‘वरदान’ साबित नहींं हुई

-द प्रिंट, प्रधानमंत्री की जन आरोग्य योजना (पीएम-जय), प्रधानमंत्री मोदी की स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत के अंतर्गत आनेवाली की तीसरी फ्लैगशिप योजना है. जिसे यह बताया जा रहा है कि यह कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए वरदान साबित हुई है. हालांकि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, इस योजना का प्रबंधन करने वाली एजेंसी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस योजना का प्रवासी मजदूर समूह को सरकार के...

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क्या मनरेगा के लिए आंवटित अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए मददगार साबित होगा ?

साल 2020 की शुरुआत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और संबंधित अर्थशास्त्रियों ने साल 2020-21 के लिए गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की. लेकिन 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा के तहत केवल Rs.61,500 करोड़ आवंटित किए. जोकि 2019-20 में मनरेगा पर खर्च किए गए फंड की तुलना...

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