अमर उजाला, 30 अगस्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रमुख विशेषज्ञ और योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रोफेसर अभिजीत सेन का एक लंबी बीमारी के बाद सोमवार रात निधन हो गया। वह 72 वर्ष के थे। इसकी जानकारी उनके भाई ने दी। उन्होंने अपने चार दशकों से अधिक के अकादमिक करियर में कई बड़े नामी संस्थानों में पढ़ाया। अभिजीत सेन ने 1985 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाया, यहां पर वह आर्थिक अध्ययन के...
More »SEARCH RESULT
गरीबी और असमानता
[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...
More »बिहार: सुखाड़ के साथ खाद की कमी और कालाबाजारी से जूझ रहे किसान
डाउन टू अर्थ, 24 अगस्त बिहार में लगातार तपिश और कड़ाके की गर्मी से किसान मायूस हैं। मौसम विभाग के अनुसार 17 अगस्त 2022 तक राज्य में केवल 389.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जो कि सामान्य से बहुत कम है। इस समय तक सामान्य तौर पर 657.6 मिलीमीटर बारिश होती है। इस सुखाड़ से नुकसान झेलने के बाद किसान अब यूरिया और खाद की किल्लत से भारी मुसीबतों का सामना कर रहे...
More »धान में बौनेपन की बीमारी पर केंद्रीय टीम गठित, आईएआरआई की अंतरिम रिपोर्ट में बीमारी की वजह की पहचान
रूरल वॉयस 23 अगस्त पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में धान की फसल में पौधों के बौनेपन की अनजान बीमारी को लेकर केंद्र सरकार काफी चिंतित दिख रही है। यही वजह है कि बीमारी के बारे में सोमवार को मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लेते हुए एक आठ सदस्यीय केंद्रीय टीम गठित कर इसके ऑन स्पॉट आकलन के लिए प्रभावित राज्यों पंजाब और हरियाणा में जाने को कहा गया...
More »महाराष्ट्र: मराठवाडा में गहराया कृषि संकट, 8 महीने में 600 किसानों ने की आत्महत्या!
गाँव सवेरा, 20 अगस्त आए दिन किसानों की आत्महत्या कि खबर पढ़ने और सुनने को मिलती है. तमाम प्रयासों और कोशिशों के बाद भी किसानों की आत्महत्या की सिलसिला नहीं रुक रहा है. 8 महीने में करीब 600 किसानों ने की आत्महत्या क्या मराठवाडा कृषि संकट का सामना कर रहा है. किसान संगठन में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का मानना है कि मौसम की घटनाओं की बजाय किसानों की स्थिति...
More »