आरटीआइ आपको इतनी ताकत देता है कि अकेला आदमी भी घूस को घूंसा मार सकता है. इतना ही नहीं, सरकार को अपनी नीतियों को बदलने के लिए मजबूर भी कर सकता है, अगर वह जनहित और राष्ट्रहित के खिलाफ है, लेकिन एक सवाल बार-बार पूछा जाता कि आरटीआइ एक्टिविस्ट ऐसा करने में कितने सुरक्षित हैं? वे अपनी सुरक्षा के लिए क्या करें? हमलों से बचने के उपाय यह सच है कि अकेले...
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सवाल भरोसा बहाल करने का है- योगेन्द्र यादव
सूचना का अधिकार कानून (आरटीआइ) में बदलाव के लिए पेश हुए बिल पर अगले हफ्ते बहस होनी है, लेकिन फैसला सबको मालूम है. कानून में बदलाव के मुद्दे पर सारे दल एकजुट हैं, सो संशोधन होकर रहेगा. मंशा कानून को ऐसे बदलने की है कि राजनीतिक दल आरटीआइ के घेरे में आने से बचे रहें. पार्टियों के इस रवैये से आम आदमी को एक बार फिर लगेगा कि कायदे-कानून सिर्फ...
More »बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा जरूरी : डॉ शैबाल
पटना: बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलना जरूरी है. अंगरेजी हुकूमत व आजादी के बाद भी बिहार को उचित हक नहीं मिला. देश की आर्थिक नीति ऐसी बनी कि महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु जैसे विकसित राज्य और विकसित होते गये और बिहार लगातार पिछड़ता गया. अभी केंद्र सरकार से हक मांगने का अनुकूल समय है. ये बातें आद्री के सदस्य सचिव व पिछड़े राज्यों के मानक तय...
More »बदलते बिहार में मिड-डे मील- अश्विनी कुमार
मिड-डे मील से बच्चों की मौत ने न केवल देश की अंतरआत्मा को झकझोरा है, बल्कि बिहार में सुशासन व चमत्कारिक विकास की कमजोर नींव को भी उजागर किया है. पहले बगहा में 6 थारू आदिवासियों की पुलिस फायरिंग में मौत, फिर बोधगया आतंकी हमले के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राजनीतिक जीवन में नौकरशाही के सहारे शासन चलाने के आरोप से बचने के लिए संभवत: सबसे कठिन हालात का...
More »यह त्रासदी कहीं अपने को दोहरा ना दे...!
बिहार के छपरा जिले में जहरीला मिड डे मील खाने से हुई मौतों ने राज्य में इस कार्यक्रम के संचालन की तैयारियों को सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया है। इसे चाहे हाथ आई रकम को समय रहते खर्च पाने की नाकामी कहें या फिर शिक्षा के अधिकार कानून में अमल में बरती जाने वाली कोताही, आशंका यह है छपरा की तरह बिहार के कई और जिलों में मिड डे मील की त्रासदी अपने को...
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