जनसत्ता 20 अगस्त, 2013 : झारखंड बनने के बाद प्रभु वर्ग ने इस बात को काफी जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित किया है कि झारखंड का विकास और झारखंडी जनता का कल्याण उद्योगों से ही हो सकता है और खनिज संपदा से भरपूर झारखंड में इसकी अपार संभावनाएं हैं। यह प्रचार कुछ इस अंदाज में किया जाता है मानो झारखंड में पहली बार औद्योगीकरण होने जा रहा है। हकीकत यह है कि...
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गांव के हुनर को ऊंची उड़ान
सिरचन के नखरे भी गांव के लोग खुशी-खुशी उठाते थे. उसकी झोपड़ी के आगे ब.डे-ब.डे लोगों की सवारी बंधी रहती थी. लोग उसकी खुशामद करते थे. उसकी इज्जत करते थे. वह न तो साधु था, न साहूकार. न ऊंचे पद पर था, न ऊंजी जाति का. उसकी जाति तो कारीगर की थी. ऐसा कारीगर, जो कुशल था, जिसके हाथ में हुनर था. फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘ठेस’ का यह सेंट्रल...
More »कौशल विकास से दूर होगी युवाओं की बेरोजगारी
दिलीप एम चिनॉय राष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के मैनेजिंग डॉयरेक्टर और चीफ एक्जक्यूटिव ऑफिसर हैं. देश में युवाओं के कौशल विकास की स्थिति, बिहार-झारखंड में कौशल विकास के कार्यक्रम, पंचायत की भागीदारी आदि बिंदुओं पर पेश है पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह से उनकी बातचीत के प्रमुख अंश : किसी भी युवा की जिंदगी में कौशल का क्या योगदान है? राष्ट्रीय कौशल विकास संस्थान किस तरह से युवाओं के कौशल विकास...
More »हिंदी पत्रकारिता दिवस विशेष- हिंदी पत्रकारिता : भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी
हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है। भारतवर्ष में आधुनिक ढंग की पत्रकारिता का जन्म अठारहवीं शताब्दी के चतुर्थ चरण में कलकत्ता, बंबई और मद्रास में हुआ। 1780 ई. में प्रकाशित हिकी का "कलकत्ता गज़ट" कदाचित् इस ओर पहला प्रयत्न था। लेकिन हिंदी पत्रकारिता की सही मायने में शुरुआत हिंदी के पहले पत्र उदंत मार्तण्ड के प्रकाशित होने के साथ 30 मई 1826 को हुई। इसीलिए इस...
More »अंबुजा सीमेंट प्लांट में पांच सौ टन गर्म राख में दबे कई श्रमिक
बलौदा बाजार। अंबुजा सीमेंट प्लांट में गुरुवार सुबह करीब 11 बजे बड़ा हादसा हो गया। प्लांट के तीन हापर के गिर जाने से वहां काम कर रहे दर्जनभर से अधिक श्रमिक 500 टन से अधिक गर्म फ्लाई ऐश के नीचे दब गए। दुर्घटना में पांच-छह श्रमिकों के मरने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि...
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