रूरल वॉयस, 25 मई टूटे चावल के निर्यात को सरकार ने शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है। आयातक देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए यह मंजूरी दी गई है। सरकार की ओर से जारी एक अधिसूचना में इसकी जानकारी दी गई है। टूटे चावल के सामान्य निर्यात पर प्रतिबंध है जो पिछले साल 9 सितंबर को लगाया गया था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से बुधवार...
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पिछले साल गर्मी और अब भारी बारिश, गेहूं की फसल पर फिर मौसम की मार
मोंगाबे हिंदी, 25 मई इस साल मार्च में हुई भारी बारिश के चलते कई राज्यों में गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। पिछले साल भीषण गर्मी के चलते गेहूं उत्पादन पर असर पड़ा था। इस वजह से केंद्र सरकार भी नुकसान की समीक्षा कर रही है। घरेलू आपूर्ति में कमी की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गेहूं का निर्यात फिर शुरू करने से इंकार कर दिया है।...
More »लंपी रोग फिर लौटा, चार राज्यों में फैला, बगैर वैक्सीनेशन के स्थिति बदतर होने की आशंका
रूरल वॉयस, 19 मई पिछले साल मई और जून में देश के दर्जन भर राज्यों में करीब एक लाख गौवंश की बलि लेने वाले लंपी स्किन रोग (एलएसडी) ने इस साल भी दस्तक दे दी है। आने वाले दिनों में इसके तेजी से फैलने की आशंका है क्योंकि यह रोग इसी समय फैलता है। इस समय लंपी रोग का सबसे अधिक असर उत्तराखंड में है। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में...
More »जानलेवा प्रदूषण: पारंपरिक चूल्हों की तुलना में दो गुणा ज्यादा पीएम0.1 उत्पन्न करते हैं उन्नत कुकस्टोव
डाउन टू अर्थ 16 मई आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पारंपरिक चूल्हों की तुलना में उन्नत कुकस्टोव कहीं ज्यादा मात्रा में प्रदूषण के अत्यंत महीन कणों का उत्सर्जन करते हैं। देखा जाए तो इन उन्नत चूल्हों का विकासशील देशों में खाना पकाने के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। लेकिन हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ सरे ने अपने अध्ययन में इस बात की पुष्टि की है कि यह...
More »चारा संकट की जड़ें, भाग एक: हरित क्रांति के समय से शुरू हो गई थी समस्या
डाउन टू अर्थ, 15 मई भारत विश्व की 20 प्रतिशत पशुधन आबादी के साथ सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश है। संयुक्त राष्ट्र के कृषि एवं खाद्य संगठन के अनुसार, यहां के 70 प्रतिशत परिवार आजीविका के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि एवं इससे जुड़े व्यवसाय पर निर्भर हैं। पशुपालन आदि काल से ही मानव सभ्यता के साथ जुड़ा रहा है, परंतु पिछले कुछ सालों में चारे की बढ़ती...
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