नई दिल्ली। थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर लगातार सातवें महीने शून्य से नीचे रही है। मई, 2015 में यह शून्य से 2.34 फीसद नीचे रही। लेकिन, जिस तरह से दालों और प्याज की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है वह सरकार के लिए चिंता का कारण है। इसके बावजूद जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में थोक महंगाई की स्थिति में कोई बहुत बड़ी...
More »SEARCH RESULT
न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के लिए कितना मददगार ?
अगर आप मानते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य देश के ज्यादातर किसानों को उपज का लाभकर मूल्य दिलाने में कारगर है तो आप गलत सोच रहे हैं। अगर विश्वास ना हो तो नीचे राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की नई रिपोर्ट के इन तथ्यों पर गौर कीजिए।(देखें नीचे दी गई रिपोर्ट) साल 2012 के जुलाई महीने से दिसंबर महीने के बीच देश के किसान प्रति क्विंटल धान में से महज 17 किलो सहकारी या...
More »कैबिनेट ने घटाई प्याज की MEP, घरेलू बाजार में बढ़ सकते हैं दाम
नई दिल्ली। कैबिनेट ने मंगलवार को प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 300 डॉलर प्रति टन से घटाकर 250 डॉलर प्रति टन कर दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के नोटिफिकेशन के मुताबिक, एमईपी की नई दरों को तत्काल प्रभाव के साथ लागू कर दिया गया है। इस कदम का मकसद प्याज के निर्यात को बढ़ावा देना है और घरेलू कीमतों में भारी गिरावट को रोकना है ताकि किसानों को...
More »आठ राज्यों में फसलों को भारी नुकसान की आशंका, अगले हफ्ते आएगी सर्वे रिपोर्ट
नई दिल्ली। मार्च की बेमौसम बरसात और ओलों ने देश के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्र में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में 50 लाख हेक्टेयर भूमि में खड़ी फसल बर्बाद हुई है। करनाल स्थित गेहूं अनुसंधान निदेशालय के मुताबिक देश भर में गेहूं की करीब 20 प्रतिशत फसल को नुकसान...
More »इस रबी सीजन में प्याज का रकबा घटने से कीमतें बढ़ने की संभावना
--रबी सीजन में प्याज उत्पादक राज्य गुजरात में इस साल प्याज की खेती में भारी गिरावट देखने को मिली है ---राज्य में 22 दिसंबर तक सिर्फ 38,400 हेक्टेयर में ही प्याज की खेती हो पायी है --जबकि पिछले साल इस दौरान 71,800 हेक्टेयर में प्याज की फसल लग चुकी थी --राज्य में इस साल प्याज का रकबा करीब 47 फीसदी पिछड़ा...
More »