जनसत्ता 19 दिसंबर, 2011: अण्णा समूह द्वारा प्रस्तावित जन लोकपाल कानून के प्रारूप को लेकर जो चिंताएं सबसे ज्यादा गंभीर हैं उनमें से एक है शिकायत निवारण की व्यवस्था को इसी एक कानून में अंतर्निहित करना। ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ (आईएसी) की ओर से शिकायत निवारण की व्यवस्था को लेकर एक बार फिर नया सुर सुनने को मिल रहा है कि इसे सिटिजन चार्टर यानी नागरिक संहिता के जरिए देखा जाए और इसे...
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संसद बनाम लोकतंत्र- राजकिशोर
जनसत्ता 27 दिसंबर, 2011: कभी-कभी ऐसा होता है कि शरीर की कुछ कोशिकाएं विद्रोह कर देती हैं। उनका पुनरुत्पादन इतनी तेजी से होने लगता है कि जिस शरीर का वे हिस्सा होती हैं, उसी का विनाश करने लगती हैं। इसे कैंसर कहा जाता है। कैंसर जब दिमाग में फैलता है तो वह पूरे शरीर को प्रभावित करता है। इसी तरह, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि समाज का एक हिस्सा...
More »बारहवीं योजना में स्वास्थ्य राम प्रताप गुप्ता
पिछले दिनों सरकार ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण पत्र जारी किया। आर्थिक विकास की ऊंची दर के बावजूद आम जनता विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है। इसका प्रमुख कारण यही है कि आज भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर राष्ट्रीय आय का मात्र 1.2 प्रतिशत खर्च किया जाता है। नतीजतन लोगों को चिकित्सा व्यय का अधिकांश स्वयं वहन करना पड़ता है, जो उन्हें गरीबी रेखा से नीचे धकेल रहा है। सार्वजनिक...
More »अमीरी रेखा की जरूरत- सुनील
जनसत्ता 12 दिसंबर, 2011 : कुछ माह पहले जब योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दिया कि शहरों में बत्तीस रु. और गांवों में छब्बीस रु. प्रतिदिन खर्च करने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर माना जाएगा, तो देश के संभ्रांत पढ़े-लिखे लोगों में और मीडिया में खलबली मच गई। अहलूवालिया से लेकर जयराम रमेश तक को सफाई में बयान देने पडे। उन्होंने यह...
More »बारहवीं योजना में स्वास्थ्य - राम प्रताप गुप्ता
पिछले दिनों सरकार ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण पत्र जारी किया। आर्थिक विकास की ऊंची दर के बावजूद आम जनता विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है। इसका प्रमुख कारण यही है कि आज भी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर राष्ट्रीय आय का मात्र 1.2 प्रतिशत खर्च किया जाता है। नतीजतन लोगों को चिकित्सा व्यय का अधिकांश स्वयं वहन करना पड़ता है, जो उन्हें गरीबी रेखा से नीचे धकेल रहा है। सार्वजनिक...
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