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किसान आत्महत्या का अधूरा सच- देविन्दर शर्मा

गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के किसान आत्महत्या संबंधी 2014 के आंकड़े कृषि के स्याह पक्ष को ही सामने लाते हैं। वर्ष 2014 में 12,360 किसानों की आत्महत्या का सीधा अर्थ है कि हर 42 मिनट में देश में एक किसान ने आत्महत्या की। हालांकि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े को दो श्रेणियों-किसानों एवं कृषि मजदूरों, में बांटने का साहसिक...

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बिना आधार कार्ड के नहीं लिया जा सकता बच्चा गोद

अनाथालय या बालगृह से बच्चा गोद लेना है तो आपके पास आधार पंजीकरण होना जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर घर को किलकारियों से गुलजार करने के लिए लंबा इंतजार करना होगा। सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) ने आधार पंजीकरण के संबंध में यह एडवाइजरी जारी की है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन आने वाले कारा ने गोद लेने की प्रक्रिया में आधार को प्राथमिकता देने का यह निर्णय...

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स्त्रियों के हक में बड़ा फैसला-- ऋतु सारस्वत

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि अविवाहित मां बच्चे के पिता का नाम बताए बिना उसकी अनुमति के बगैर बच्चे की अभिभावक हो सकती है। उल्लेखनीय है कि पहले ऐसे मामले में गार्जियनशिप ऐंड वार्ड्स ऐक्ट के तहत पिता की लिखित सहमति लेनी जरूरी थी। शीर्ष न्यायालय का मानना है कि आज का समाज बदल गया है और ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, जो...

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सामाजिक, आर्थिक व जातीय जनगणना : समावेशी जुबान, मंशा अनजान!

आजादी के बाद भारत में गरीबी रेखा तय करने की दिशा में उठाये गये विभिन्न कदमों की सूची में पिछले कुछ वर्षो के दौरान संचालित सामाजिक, आर्थिक व जाति सर्वेक्षण का महत्वपूर्ण स्थान है. इसमें पहली बार किसी परिवार की सामाजिक पहचान को तरजीह दी गयी है. देश में लंबे अरसे से ऐसी मान्यता रही है कि गरीबी की मार कुछ सामाजिक श्रेणियों को ज्यादा ङोलनी पड़ती है, जिनमें से...

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न्यूनतम सरकार अधिकतम शोषण- के सी त्यागी

श्रमिकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है। इसके विरुद्ध श्रमिकों ने समय-समय पर आवाज उठाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानून बने। मजदूर संगठित हुए, उन्हें अधिकार मिले, स्वतंत्रता मिली, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा। इसका असर हमने भारत में भी देखा। लेकिन नई औद्योगिक नीति और उदारीकरण का दौर परवान चढ़ने के साथ ही श्रमिक फिर शोषण का शिकार हुए। उनका सामाजिक दायरा घटा, अधिकार सिकुड़ते चले गए। इसी...

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