ढाई-तीन दशक पहले की एक शाम आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी से गपियाते हुए मुझे दो दिलचस्प तथ्य पता चले। पहला तो यह कि अलिखित नियमों के तहत आईबी यानी भारत की सबसे महत्वपूर्ण खुफिया संस्था इंटेलिजेंस ब्यूरो में किसी मुस्लिम आईपीएस अफसर को नहीं लिया जाता। यह कोई ढका-छिपा सच नहीं था। मुझे भी पता था, पर दिलचस्प इसलिए कह रहा हूं कि उन दिनों नौकरशाही के सबसे बड़े...
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भविष्य के शिक्षक, शिक्षकों का भविष्य-- हरिवंश चतुर्वेदी
आज के दिन देश के लाखों स्थानों पर स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या डॉ राधाकृष्णन की कल्पना के अनुरूप आज भी समाज में शिक्षक और शिक्षा के पेशे को हम वह सम्मान दे पाए हैं, जो उन्हें मिलना चाहिए? हम इंजीनियरों, डॉक्टरों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आईएएस, आईपीएस, नेताओं, उद्योगपतियों, साधु-संतों और फिल्मी अभिनेताओं से मिलकर जितना गद्गद् होते हैं और सेल्फी लेने...
More »झारखंड का जनजातीय समाज -- जेबी तुबिद
झारखंड का जनजातीय समाज एक स्वाभिमानी समाज है. पीढ़ियों से समाज ने अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़कर अपनी पहचान को अक्षुण्ण रखा है. प्रकृति ने उन्हें लड़ने की क्षमता दी है. साथ ही प्रकृति के साथ सामंजस्य कर जीवन बसर करने के अलौकिक गुण भी दिये हैं. सांस्कृतिक दृष्टि से समाज काफी धनी है. जनजातीय समाज अपनी दुनिया में जीता है एवं दूसरे समाज को अपने में समाविष्ट...
More »लंबा है असम की अस्मिता का संघर्ष - एनके त्रिपाठी
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा सामने आने के बाद बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं कि असम के मूल निवासी दशकों से इस समस्या से जूझ रहे हैं। मैं भारतीय पुलिस सेवा में रहा हूं और अपने इस सेवाकाल के दौरान मुझे असम के लोगों द्वारा घुसपैठियों के खिलाफ संघर्ष को करीब से देखने का मौका...
More »सरकार संसद में पहले भी सुरक्षित थी
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया. सरकार संसद में पहले भी सुरक्षित थी, अब और भी आश्वस्त हो गयी. विपक्ष भी सरकार पर कुछ छींटाकशी कर खुश हो गया. गले से कहने में जो कसर रह गयी, वह गले लगकर पूरी की गयी. सत्ताधारी मोर्चे में कुछ टूट-फूट होने से विपक्ष भी आश्वस्त है. मीडिया को भी मसाला मिल गया- मोदी जी और राहुल गांधी के गले पड़ने की फोटो...
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