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इस शख्स की कहानी है इंटरेस्टिंग, पढ़कर आप कहेंगे 'गजब' यार!- लक्ष्मीकांत सिंह

गोपालगंज। ब्रेन ट्यूमर के कारण आंखों की रोशनी चली गई, पर सकलदीप के इरादे टस से मस नहीं हुए। ट्यूमर से जूझते हुए नेत्रहीन सकलदीप गांवों में घर-घर शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं। वे चाहते हैं कि हर घर का चिराग रौशन हो। इसके लिए वह नेत्रहीनता को मात देते हुए भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनका मानना है कि ज्ञान दान से बड़ा कुछ भी नहीं। उनकी पाठशाला बगीचे...

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नियुक्त होंगे 3200 प्रोग्राम ऑफिसर

पटना : राज्य के हर प्रखंड में छह-छह कार्यक्रम पदाधिकारियों की नियुक्ति की जायेगी. इस प्रकार 3,200 से अधिक पदाधिकारी संविदा पर बहाल होंगे. इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया जून, 2012 तक पूरी कर ली जायेगी. स्कूलों में चलायी जा रही योजनाओं की मॉनीटरिंग करना इनका मुख्य कार्य होगा. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी को 6,000 रुपये मानदेय मिलेगा. पोशाक योजना, साइकिल...

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1750 किमी दूर से दे रहे हैं गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा- भाग्यश्री कुलथे

कोल्हापुर। महाराष्ट्र में कोल्हापुर का एक संगठन हेल्पर ऑफ हेंडीकैप्ड (एचओएच) गरीब और विकलांग बच्चों को मुफ्त में ऑनलाइन शिक्षा दे रहा है। गूगल का हैंगआउट एप्लीकेशन इसमें बड़ी मदद कर रहा है। इस एप के जरिये शिक्षक आसानी से उन बच्चों को पढ़ा सकते हैं, जो कि दूर-दराज के इलाके में रहते हैं और महंगी शिक्षा हासिल नहीं कर सकते। एचओएच संगठन गूगल हैंगआउट के जरिये इस समय करीब 500 बच्चों...

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खतरे में मासूम, 1.84 लाख बच्चे लापता

नई दिल्ली : सरकार ने आज कहा कि 2008 से 2010 के बीच देश में 28,000 से अधिक बच्चों का अपहरण किया गया और करीब 1.84 लाख बच्चों के लापता होने की खबर है. गृह राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार 2008 में 7862 बच्चे, 2009 में 9436 बच्चे और 2010 में 11,297 बच्चों का अपहरण किया गया. इन सभी...

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हिंसक प्रतिरोध कितना उचित- हर्षमंदर

बहुतेरी संस्कृतियों में अन्याय के प्रतिरोध को सर्वोच्च मानवीय दायित्व का दर्जा दिया गया है। इसी क्रम में एक बहस सदियों से जारी है और आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। यह है अत्याचार और अन्याय के प्रतिरोध में हिंसा की वैधता। सवाल यह है कि अगर राज्यसत्ता के कुछ सशक्त प्रतिनिधि अगर अन्यायपूर्ण हो गए हों तो क्या उनके प्रतिरोध के लिए हिंसा उचित है? दूसरे शब्दों में क्या न्याय के...

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