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क्या ‘मिड डे मील’ शिक्षा में घुन है?-- मणीन्द्र ठाकुर

ग्रामीण विद्यालयों में शिक्षा की हालत कैसी है? यदि आप इस सवाल को लेकर नीतिकारों के पास जायेंगे, तो लगेगा कि अब भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता है. क्योंकि बिहार के गांवों में भी लगभग सौ फीसदी बच्चे विद्यालय जाने लगे हैं. लेकिन, धरातल पर कहानी कुछ और है. पिछले दिनों किसी गांव के एक विद्यालय में जाने का मौका मिला, जहां साठ-सत्तर के दशक तक...

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मानवाधिकार आयोग ने कहा जीप पर बंधे अहमद को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के राज्य मानवाधिकार आयोग की ओर से सोमवार को राज्य सरकार को आदेश दिया गया कि पथराव के दौरान आर्मी द्वारा ह्यूमन शील्ड बनाए गए शख्स को बतौर मुआवजा 10 लाख रुपये की राशि दिया जाए। आयोग की ओर से इसके लिए सरकार को 6 माह का समय भी दिया गया है। मानवाधिकार का फैसला राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस बिलाल नाजकी ने राज्य सरकार को पथराव जैसी...

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भारत की लगातार बढ़ती जनसंख्या वरदान है या अभिशाप

मंगलवार को विश्व जनसंख्या दिवस है. अलग-अलग देशों के लिए जनसंख्या से संबंधित अपनी समस्याएं हैं. जहां कुछ देश इस बात से परेशान हैं कि वहां जनसंख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है तो वहीँ भारत अपनी निरंतर बढ़ती जनसंख्या को लेकर परेशान है. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने कुछ दिनों पहले यह दावा किया था कि भारत की आबादी 2024 तक चीन से ज्यादा हो जाएगी। वहीं 2030...

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अंग्रेजी की दीवार गिराए बिना नहीं मिलेगी हिंदी को जमीन-- आशुतोष कुमार

हिंदी को लेकर माहौल फिर गर्म होने लगा है। इसके पीछे दो केंद्रीय मंत्रियों के ताजा बयान हैं। एक ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। सच्चाई यही है कि संविधान में राष्ट्रभाषा की कोई अवधारणा नहीं है। हिंदी सरकारी भाषा है, अंग्रेजी के साथ-साथ। संविधान लागू करते समय कहा गया था कि अगले पंद्रह वर्षों में अंग्रेजी हटा दी जाएगी। लेकिन गैर हिंदीभाषी राज्यों के विरोध के कारण ऐसा...

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डिजिटल मीडिया का सच-- अरिमर्दन कुमार त्रिपाठी

भारतीय लोकतंत्र की व्यापक परिधि में आज भी वह परिपक्वता नहीं है, जो किसी स्वस्थ समाज और लोक कल्याणकारी राज्य के लिए आवश्यक है। समाज में गरीबी, कम शिक्षा दर, सांप्रदायिक सोच, जातीय उन्माद, जेंडरगत कुंठा, व्यक्तिगत स्वार्थपरता और पूंजी के शातिराना खेल ने जिस परिवेश को बढ़ाया है, उसमें लोकतांत्रिक मूल्यों का लगातार क्षरण हो रहा है। जबकि देश में मीडिया के प्रति विश्वसनीयता की लंबी परंपरा रही है।...

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