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आदिम जनजातियों पर ज्यादा फोकस

मिड डे मील योजना यह जाहिर है कि झारखंड की आदिम जनजातियों में शिक्षा की दर बेहद कम है. उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए यह जरूरी है कि उनमें शिक्षा का तेजी से और ज्यादा-से-ज्यादा प्रसार हो. इसलिए पहाड़िया आदिम जनजाति के छात्र-छात्रों के लिए विशेष मिड डे मील योजना चलायी जा रही है. झारखंड के कल्याण विभाग द्वारा यह योजना सभी पहाड़िया दिवा कालीन स्कूलों में चलायी...

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हर जिले में नहीं होती है मिट्टी की जांच

राज्य की 80 प्रतिशत जनता गांवों में रहती है और उसमें भी 80 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर खेती से जुड़े हैं. खेती ही ऐसे लोगों की जीविका का मूल आधार है. इसके बाद भी खेती के विकास को लेकर हमारा सरकारी महकमा गंभीर नहीं है. कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए द्वितीय हरित क्रांति, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि कई केंद्र प्रायोजित योजनाओं...

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दिल्ली में दूध के नमूनों में मिला ग्लूकोज और स्कीम्ड मिल्क पाउडर

नयी दिल्ली। सरकार ने आज माना कि राजधानी से एकत्र किए गए दूध के 71 नमूनों में से 50 नमूने खाद्य मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए क्योंकि उनमें ग्लूकोज और मलाई उतारा हुआ :स्कीम्ड: दूध पाउडर मिलाया गया था। सरकार ने पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और मिजोरम में दूध के अधिकतर नमूने भी मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने की बात स्वीकार की। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी...

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भारतीय दवा कंपनियां नियमों का पालन करें या कार्रवाई के लिये रहें तैयार

नयी दिल्ली: अमेरिकी स्वास्थ्य नियामक एफडीए ने भारतीय कंपनियों से नियमों का अनुपालन करने को कहा है. उसका कहना है कि अगर कंपनियां उनके कायदे-कानून का पालन नहीं करेंगी तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएंगी. कई भारतीय दवा कंपनियां अमेरिकी नियमों के उल्लंघन को लेकर वहीं के स्वास्थ्य नियामक की जांच के घेरे में है. एफडीए का कहना है कि यहां निर्मित दवाओं में कीटनाशक तथा कीटों के अंश मिल रहे...

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एक रुपये का हेरफेर, गरीबी का मजाक नहीं तो और क्या

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार ने रोजाना कमाई में महज एक रुपये बढ़ाकर एक झटके में 17 करोड़ लोगों की गरीबी दूर करने का सेहरा अपने माथे बांध तो लिया है, लेकिन पिछले दो वर्षो में महंगाई की स्थिति को देखते हुए ये आंकड़े आम जनता के साथ क्रूर मजाक सरीखे लगते हैं। सितंबर, 2011 में सरकार ने जब गांव में 26 रुपये रोजाना से ज्यादा कमाई वालों को गरीब मानने के...

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