केंद्र सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि वर्ष 2015 और 2016 के दौरान दिल्ली और फरीदाबाद अत्यधिक वायु प्रदूषण वाले शीर्ष पांच शहरों में शामिल हैं। पयार्वरण मंत्री अनिल माधव दवे ने सोमवार को राज्यसभा को एक प्रश्न के जवाब में यह बात कही। पयार्वरण मंत्री ने लिखित उत्तर मे बताया कि शहरों को विभिन्न परिणामों के साथ विभिन्न मानक प्रदूषकों के आधार पर श्रेणियां दी जा सकती हैं।...
More »SEARCH RESULT
बिना उचित अनुमति के बने हैं, तो टॉवर ढहा दिये जायेंगे : सुप्रीम कोर्ट
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा में सुपरटेक की 40 मंजिला दो आवासीय इमारतें ‘इमेराल्ड टावर्स' यदि बिना उचित मंजूरी के बनायी गयी हैं, तो इन्हें ढहा दिया जायेगा. न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और एएम खानविलकर की पीठ ने कहा कि ये इमारतें यदि बिना उचित मंजूरी लिये बनायी गयी हैं, तो इन्हें ढहा दिया जायेगा. शीर्ष अदालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 11 अप्रैल, 2014 को दिये गये...
More »भारत की अर्थव्यवस्था बनी रहेगी सबसे तेज, तार्किक है सात-आठ फीसदी की विकास दर : जेटली
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि सात से आठ प्रतिशत की विकास दर हासिल करना तार्किक आधार पर विश्वसनीय दिखाई देता है. इसके साथ ही जीएसटी के मसले उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी जटिल अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को सरल व्यवस्था में बदलेगा. साथ ही जीएसटी कर चोरी...
More »मुस्लिम पर्सनल लॉ और पॉस्को कानून में हैं मतभेदः दिल्ली कोर्ट
नई दिल्ली। अगर एक मुस्लिम युवक किसी नाबालिग लड़की को लेकर भाग जाता है और उससे मुस्लिम लॉ के अनुसार शादी कर लेता है, तो क्या उसे पॉस्को के तहत अपराधी माना जा सकता है। इस सवाल का हवाला देते हुए दिल्ली में एक विशेष अदालत ने पिछले हफ्ते पाया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ और पॉस्को (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट) के प्रावधानों के बीच 'स्पष्ट मतभेद' हैं। अतिरिक्त...
More »फिजूलखर्ची से ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था-- एस. श्रीनिवासन
मध्य वर्ग अपने राज्य के बजट को आमतौर पर नजरंदाज करता है। उसके लिए यह एक सालाना कवायद है, जो उसके रोजमर्रा के जीवन से बहुत ज्यादा वास्ता नहीं रखती। राजनीतिक टिप्पणीकार और मीडिया भी इसे लेकर एक तरह से उदासीन रहते हैं। मगर राज्य के बजट महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये बताते हैं कि सियासी दलों ने चुनाव के दरम्यान जो वादा किया था, उसे वे पूरा कर रहे हैं...
More »