जनसत्ता 11 अप्रैल, 2014 : संसाधन घोटालों (कोयला, लोहा, गैस, तेल, रेत, जल, जंगल, जमीन) से बोझिल राजनीतिक वातावरण में, देश के शासन का ईमानदारी से संचालन, 2014 के चुनावी घोषणापत्रों की एक प्रमुख थीम है। तीस हजार करोड़ रुपए चुनाव में दांव पर लगाने वाले राजनीतिकों में होड़ है कि अगला ‘नमक का दारोगा’ कौन बनेगा! नमक जैसे सुलभ पदार्थ को औपनिवेशिक लूट का जरिया बनाए जाने की पृष्ठभूमि...
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गुजरात इस मामले में भी निकला फिसड्डी
गुजरात है इस मामले में पिछड़ा गुजरात का विकास मॉडल भले ही चुनावी मैदान में नरेंद्र मोदी का अहम हथियार बना हुआ है, लेकिन किसानों को आपदा की मार से बचाने के मामले में गुजरात का प्रदर्शन बेहद फीका है। कृषि मंत्रालय की संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को लागू करने में गुजरात पीछे रह गया है। गुजरात के अलावा भाजपा शासित छत्तीसगढ़ की स्थिति भी इस योजना के क्रियान्वयन में काफी...
More »अर्थनीति के दो छोर पर- एक के वेणु
जिस भाजपा की उत्तर भारत में लहर बताई जा रही है, उसके चुनावी घोषणापत्र में इतनी देरी की वजह समझ में नहीं आ रही। वरिष्ठ भाजपा नेता बलवीर पुंज ने इस गंभीर मामले को हल्के में निपटाते हुए कहा है कि मोदी अपने भाषणों में जो कुछ कह रहे हैं, उन्हें ही भाजपा का घोषणापत्र मान लिया जाना चाहिए। तो क्या मोदी के उद्गारों से अलग जाकर पार्टी को घोषणापत्र नहीं...
More »मेरे गुजरात की कहानी- रीतिका खेड़ा
जब मैं 16 वर्ष की थी, तब मेरी ही उम्र का एक लड़का पटना से मेरे गृहनगर बड़ोदा (गुजरात) आया। शहर को देखकर वह चकाचौंध था। बिजली की निर्बाध आपूर्ति, सड़क की बेहतरीन दशा, रात में भी बिना किसी डर के अकेली दोपहिया वाहन चलाती महिलाएं। गरबा के दौरान, रात भर, आकर्षक बैकलेस चोली में महिलाएं घूम रही थीं। उसे अपनी आंखों पर सहसा विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने...
More »जाति और गुस्से की चुनावी बिसात- नीरजा चौधरी
भारतीय राजनीति में हरियाणा का महत्व दूसरे राज्यों के मुकाबले काफी अलग है। एक तो यह कृषि प्रधान क्षेत्र है, दूसरा यह देश की राजधानी से सटा राज्य है। हरियाणा के 13 जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आते हैं। इस राज्य ने भारतीय राजनीति को कई बड़े चेहरे दिए और इस बार के आम चुनाव में भी कई बड़े चेहरे यहीं से किस्मत आजमा रहे हैं। इस बार जो सूरत...
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