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सीएजी ने पकड़ी 10 हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी

पटना. वित्तीय कुप्रबंधन के कारण राज्य सरकार को दस हजार करोड़ रुपए की चपत लगी है। मंगलवार को पेश अपनी रिपोर्ट में कैग (नियंत्रक-महालेखापरीक्षक) ने कई विभागों की गड़बड़ियां उजागर की है। कैग ने सर्वशिक्षा अभियान, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में भारी गड़बड़ी पकड़ी है। कई विभागों में वित्तीय कुप्रबंधन समाने आया है तो कई विभागों में नियम-कानून में हेरफेर कर सरकार को चूना लगाया...

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वन भूमि को बनाया डंपिग साइट

संवाद सूत्र, गरोला : जनजातीय क्षेत्र गरोला के अंतर्गत आती पिल्ली स्वाई सड़क निर्माण से निकला मलबा बेरोक टोक वन विभाग की भूमि पर डंप किया जा रहा है। जिसको लेकर न तो वन विभाग का स्थानीय कर्मचारी चिंतित है और न ही इस कार्य को अंजाम देने वाला लोनिवि और उसका ठेकेदार। जबकि उचित प्रतिक्रिया के अभाव में अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब...

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जल प्रबंधन से बन गयी अंतरराष्ट्रीय पहचान- राहुल सिंह

वे अखबार नहीं पढ़ सकते. दो-चार पांच पंक्तियां लिख नहीं सकते. अगर कोई सामान्य बात भी लिखवाना हो तो किसी दूसरे की मदद लेते हैं. किसी तरह अपना हस्ताक्षर कर लेते हैं या एकाध टूटी-फूटी पंक्ति लिख लेते हैं. लेकिन उन पर दुनिया के प्रख्यात विश्वविद्यालय कैंब्रिज के छात्र भी शोध करते हैं. अपनी पीएचडी की थिसिस में उनके कार्यो व पर्यावरण संरक्षण के साथ ग्रामीण विकास के लिए उनके...

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जातीय विद्वेष की जड़ें- विनोद कुमार

जनसत्ता 16 मई, 2014 : असम की जातीय हिंसा पर कोई सार्थक बातचीत या चर्चा शुरूकरने का खतरा यह है कि कहीं आप अल्पसंख्यक विरोधी करार न दे दिए जाएं। वह भी उस वक्त जब असम में जातीय हिंसा में लोगों के मरने का सिलसिला साल दर साल बढ़ता गया है। ताजा हिंसा इत्तिफाक से मोदी के उस दौरे के तुरंत बाद शुरूहुई, जिसमें उन्होंने घुसपैठियों को देश से निकाल...

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..जहां हर दिन लगती है मजदूरों की बोली

जमशेदपुर: यह शहर मजदूरों का है. इसकी पहचान मजदूरों से है. लेकिन इस शहर में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स समेत बड़ी कंपनियों में काम करने वाले ‘हाइप्रोफाइल मजदूरों’ से अलग एक ऐसे मजदूरों का यहां हर दिन बाजार सजता है, जहां उनके एक दिन के श्रम की बोली लगती है.   खरीदार आते हैं, बोली लगाते हैं और अपनी सुविधानुसार कारगर मजदूर को अपने साथ ले जाते हैं. मजदूरों को ऊंची...

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