रंगबिरंगी छतरी के नीचे खड़े कैमरा लटकाये इन युवाओं को देखिए. बेदिया जनजाति से आने वाले ये युवा स्वयं से रोजगार सृजन कर आत्मनिर्भर होने की अद्भुत मिसाल हैं. इन युवाओं ने रोजगार के लिए फोटोग्राफी के हुनर को अपनाया है और वह भी ऐसी जगह पर जहां बिजली की आपूर्ति नहीं है. सौर ऊर्जा को बिजली के विकल्प के रूप में अपनाया और नयी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए...
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हुंडरू में युवाओं ने सौर ऊर्जा से खोली आजीविका की अनोखी राह
रंगबिरंगी छतरी के नीचे खड़े कैमरा लटकाये इन युवाओं को देखिए. बेदिया जनजाति से आने वाले ये युवा स्वयं से रोजगार सृजन कर आत्मनिर्भर होने की अद्भुत मिसाल हैं. इन युवाओं ने रोजगार के लिए फोटोग्राफी के हुनर को अपनाया है और वह भी ऐसी जगह पर जहां बिजली की आपूर्ति नहीं है. सौर ऊर्जा को बिजली के विकल्प के रूप में अपनाया और नयी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए...
More »संसाधनों की कमी नहीं दूरगामी नीति का अभाव- रवि दत्त वाजपेयी
तीन माह से 3 साल के 70 } बच्चे रक्त-अल्पता से पीड़ित अगले 20-30 वर्षों में भारत को अपनी अन्न सुरक्षा के लिए खेती के आधुनिक तरीकों, बेहतर सिंचाई-प्रबंधन, पर्यावरण के अनुकूल बीज-खाद-कीटाणुनाशक का उपयोग, उदार आर्थिक सहयोग और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सड़क, बिजली, भंडारण की सुविधाओं, आम लोगों की क्र य शक्ति बढ़ाने में भारी निवेश की आवश्यकता पड़ेगी. आज पढ़िए छठी कड़ी. भारत को आर्थिक महाशक्ति घोषित करने को...
More »विकास की होड़ में बेसुध- अभय मिश्र
जनसत्ता 6 फरवरी, 2014 : भारतीय जनता पार्टी के गंगा समग्र अभियान की सर्वेसर्वा उमा भारती ने पर्यावरणविद अनुपम मिश्र से आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा पर सलाह मांगी, जिसे वे जनता के सामने संकल्प के तौर पर रख सकें। अनुपमजी ने कहा कि आप अच्छा काम कर रही हैं लेकिन कोई भी बड़ी घोषणा करने से बचिए। थोड़ा रुक कर वे बोले, आज आप कोई बड़ा संकल्प ले लेंगी...
More »किसने बनाया किसान को गरीब- कुसुमलता केडिया
भारत की हजारों वर्षों की जिस संपन्नता की बात की जाती है, वह मुख्यतया किसानों, शिल्पियों और व्यापारियों पर टिकी थी। राजकोष में आने वाले धन का सबसे बड़ा हिस्सा किसानों से प्राप्त होता था। मनु-स्मृति, विष्णुधर्मसूत्र, गौतमधर्मसूत्र आदि में स्पष्ट व्यवस्था है कि सामान्यतया राज्य कृषि उत्पादन का बारहवां अंश लेगा। अगर कोई विशेष संकट उपस्थित हो तो आठवां या छठा अंश भी मांगा जा सकता है। कभी-कभार ही...
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