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वित्तीय बाध्यताओं की वजह से बजट में बड़े आयकर राहत की ज्यादा उम्मीद न करें

-द प्रिंट, कृषि कानूनों के खिलाफ और किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया है। बहिष्‍कार करने वाले कुल 16 राजनीतिक दल हैं: कांग्रेस पार्टी, एनसीपी, नेशनल कॉन्‍फ्रेंस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, राष्‍ट्रीय जनता दल, सीपीआइ, सीपीएम, आरएसपी, पीडीपी, एआइयूडीएफ सहित कई अन्‍य राजनीतिक दल। इन दलों ने एक संयुक्‍त बयान जारी किया...

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भारत में महिलाओं के घरेलू कामकाज का मेहनताना अगर होता तो कितना?

-बीबीसी, हाल में ही एक फ़िल्म स्टार की लॉन्च की गई राजनीतिक पार्टी ने वादा किया है कि अगर वह सत्ता में आती है तो घर-गृहस्थी संभाल रही महिलाओं को वेतन दिया जाएगा. एक क़द्दावर सांसद ने भी इस आइडिया का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि गृहस्थी संभाल रही महिलाओं को उनकी सेवाओं के लिए पैसे देने से उनकी ताक़त और स्वायत्तता बढ़ेगी और इससे एक यूनिवर्सल बेसिक इनकम पैदा...

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अडानी पर खबर लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार को गिरफ्तारी वारंट

-न्यूजलॉन्ड्री, मंगलवार, 19 जनवरी को गुजरात के कच्छ जिले में मुंद्रा की एक अदालत ने अडानी समूह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में वरिष्ठ पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. हैरानी की बात है कि वारंट उस मामले में आया है जिसमें अडानी समूह ने पत्रिका के संपादक सहित अन्य सभी लोगों के खिलाफ अपनी शिकायत वापस ले ली थी. वहीं पत्रिका भी उन लेखों को...

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इस साल बदलेगी पर्यावरण संरक्षण की वैश्विक कोशिशों की दशा और दिशा

-जनपथ, बात प्रकृति की हो तो ऐसा लगता है कि 2021 एक निर्णायक वर्ष साबित होगा। निर्णायक इसलिए क्योंकि इस साल दुनिया भर की सरकारें और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय संस्थाएं प्रकृति को हो रहे नुकसान को रोकने और बुरे असर को पलटने के लिए एकजुट हो रही हैं। इस क्रम में बीती 11 जनवरी को फ्रांस में वन प्लैनेट समिट का आयोजन हुआ। इस समिट का उद्देश्य था जैव विविधता...

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किसानों के जैसी चुनौती इतिहास में भाजपा को किसी ने नहीं दी है

-द वायर, गठजोड़ की कहानी दो हिस्सों में है. पहला हिस्सा काफी पहले लिखा जा चुका था जब अंडमान में कई सालों की कैद के बाद विनायक दामोदर सावरकर को रिहा कर दिया गया. कैद के पहले वे क्रांतिकारी हुआ करते थे. रिहाई के बाद वे ब्रिटिश हुकूमत के सहयोगी बन गए जैसा कि उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से रहम की भीख मांगती हुई अपनी कई सारी अर्जियों में वादा किया था जो उन्होंने जेल से लिखी थी. जेल से...

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