नई दिल्ली। भारत सरकार की एफडीआई गाइडलाइंस के तहत कोई भी होलसेल का कारोबार करने वाली कंपनियां सीधे तौर पर अपना माल उपभोक्ता को नहीं बेच सकती। इन कंपनियों को बिजनेस टू बिजनेस फॉर्मूले के तहत भारत सरकार ने 100% एफडीआई की अनुमति दी है। मतलब ये कंपनिया अपना माल ऐसे कारोबारियों को बेच सकती हैं, जो इसे आगे कंज्यूमर तक बेच सके। खुद उपभोक्ता इन कंपनियों से सीधे तौर पर...
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2 से 2.5 लाख रुपए में सरकारी मेडिकल स्टोर खोलने का मौका, देशभर में खुलेंगे 3000 स्टोर
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जनऔषधि योजना के तहत देश भर में जेनरिक दवाओं के तीन हजार से ज्यादा स्टोर खोलने की योजना बनाई है। जिनके जरिए कई गुना सस्ती नॉन ब्रांडेड दवाओं की बिक्री को बढ़़ावा दिया जाएगा। योजना के तहत सरकार जनऔषधि स्टोर को जेनरिक दवाओं की आपूर्ति सरकार करती है, जिनकी बिक्री पर 16 फीसदी कमीशन दिया जाता है। इसके अलावा स्टोर शुरू करने के लिए सरकार...
More »दो गायें रखने के लिए भी अब लेना होगा लाइसेंस
पटना : राजधानी में 24 नवंबर के बाद बिना लाइसेंस के खटाल नहीं रह पायेंगे. पटना हाइकोर्ट ने नगर निगम को हर हाल में ऐसे खटालों को शहर से हटाने का निर्देश दिया है. निजी उपयोग के लिए दो गाय रखनेवालों को भी नगर निगम से अनुमति लेनी होगी. बिना अनुमति और लाइसेंस के खटाल या गाय रखनेवालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी. कोर्ट ने इसके लिए 24 नवंबर...
More »मप्र में उद्योग लगाइए, प्रोडक्ट की हम करेंगे मार्केटिंग: मुख्यमंत्री
इंदौर। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों का कद बढ़ाते हुए राज्य सरकार इनके लिए अलग मंत्रालय बनाएगी। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2014 के पहले दिन बुधवार को जब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इसकी घोषणा की तो ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर का हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया। इसके साथ ही लघु उद्यमियों की लंबे समय से चली आ रही मांग भी पूरी हुई। मुख्यमंत्री ने लघु उद्यमियों से यह वादा भी किया...
More »मलेथा ने एक बार फिर सबको राह दिखाई- अनिल प्रकाश जोशी
माधोसिंह भंडारी ने कभी नहीं सोचा था कि वह जिस गांव में पानी लाने के लिए अपना जीवन लगा देगा और अपने पुत्र की बलि भी दे देगा, सरकार उसी गांव को प्रदूषण की बलि चढ़ा देगी। सोलहवीं शताब्दी में उत्तराखंड के गांव मलेथा में माधोसिंह भंडारी ने एक ऐसा इतिहास रचा, जो हर सदी में याद किया जाएगा। यह गांव कुछ भी पैदा करने में असमर्थ था, क्योंकि यहां...
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