नई दिल्ली: पिछले तीन लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर आने वाले सांसदों में करोड़पति और आपराधिक मामलों में घिरे सदस्यों की संख्या का लगातार इजाफा हो रहा है. चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म' (एडीआर) द्वारा लोकसभा चुनाव परिणाम की शनिवार को जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल में 44 प्रतिशत बढ़ी है. करोड़पति सांसदों की संख्या 2009 में...
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मुद्दों से ज्यादा प्रचार पर भरोसा-- संजय कुमार
चुनाव अभियानों का रूप-रंग हाल के वर्षों में काफी बदल चुका है। हालांकि किसी प्रत्याशी को अब अपने प्रचार के लिए निर्वाचन आयोग दो सप्ताह का ही वक्त देता है, जबकि पहले 21 दिन का समय मिलता था, लेकिन व्यावहारिक तौर पर अब चुनाव अभियान अतीत की तुलना में कहीं अधिक व्यापक हो गया है। मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए भी आधिकारिक तौर पर चुनाव अभियान की शुरुआत पहले चरण...
More »भद्रलोक की हिंसा का मनोविज्ञान-- हरिराम पांडेय
पश्चिम बंगाल में व्यापक चुनार्वी ंहसा न तो कोई नई बात है और न ही यह कोई अजूबा। बंगाल का भद्रलोक समाज राजनीतिक हिंसा को एक रूमानी रूप देता रहा है। यहां हर दौर में सिर्फ झंडे बदल जाते हैं, जबकि डंडे और उनके काम उसी तरह रहते हैं। कुछ लोग इसे इतिहास से भी जोड़कर देखते हैं। जंगे आजादी के बाद में जब भारत का बंटवारा हुआ, तो जो...
More »अगली सरकार की बड़ी चुनौतियां -- अनिल गुप्ता
इस समय जब लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया लगभग खत्म होने को है, तब अनेक मंत्रालयों को उन कार्यों की सूची बनाने के लिए कहा जाना चाहिए, जिनको भावी सरकार द्वारा पहले 100 दिनों में शुरू या पूरा कर लेना चाहिए। जो भी सरकार केंद्र की सत्ता में आए, उसे यह दिखाना होगा कि सामाजिक प्रभाव उसकी प्राथमिकता है। हम अभी मई के महीने में हैं और जून की शुरुआत या...
More »पुलिस का सबसे मुश्किल इम्तिहान- विभूति नारायण राय
वर्ष 1977 की शुरुआत। देश में सनसनी और उत्तेजना की बयार बह रही थी। किसी बडे़ अंधड़ की तरह आपातकाल देश को झिझोड़ता-झकझोरता गुजर चुका था और हम सभी विनाश की दृश्य और अदृश्य स्मृतियों को बुहारने में लगे थे। इसी समय देश का वह चुनाव हुआ, जिसने भारतीय समाज और राजनीति का परिदृश्य लंबे समय के लिए बदल दिया। यह वर्ष मेरे अनुभव संसार में भी बहुत कुछ जोड़ने...
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