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भूजल की फिक्र किसे है-- दीपक रस्तोगी

विज्ञान पत्रिका ‘नेचर जियोसाइंस' का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि सिंधु और गंगा नदी के मैदानी क्षेत्र का तकरीबन साठ फीसद भूजल प्रदूषित हो चुका है। उसका दावा है कि चार दक्षिण एशियाई देशों में फैले इस विशाल क्षेत्र का पानी न तो पीने योग्य बचा है और न ही सिंचाई योग्य। हालत यह है कि कहीं भूजल सीमा से अधिक खारा हो चुका है तो कहीं उसमें...

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सूखे की आशंका के बीच बारिश होने से सुधरी खेती

रायपुर, ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में सूखे की आशंका के बीच पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश से धान सहित खरीफ की फसलों की स्थिति सुधरी है। वहीं, लगातार बारिश के कारण जल्दी पकने वाले धान व सोयाबीन की फसल को नुकसान भी पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि फिलहाल खेती को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। यदि ऐसी ही लगातार...

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बिहार में हरियाली बढ़ाने के लिये 17 करोड़ से ज्यादा वृक्ष लगाये गये-नीतीश

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि प्रदेश में 2017 तक हरित आच्छादन के 15 प्रतिशत के लक्ष्य के तहत अब तक 17 करोड़ से ज्यादा वृक्ष लगाये जा चुके हैं. संजय गांधी जैविक उद्यान में वन्य प्राणी सप्ताह के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम उद्घाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि वृक्षारोपण के लिये हरियाली मिशन के तहत 2017 तक 24 करोड पेड़ लगाने का...

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1000 करोड़ की फसल बर्बादी से धीमी होगी विकास की चाल-- प्रकाशकांत

पूरे देश की ही तरह मध्य प्रदेश के अर्थतंत्र की रीढ़ भी खेती है। इसी खेती ने 2008 की विश्व मंदी में भी देश की अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाया था। हालांकि, यही खेती खुद भी कभी सूखे तो कभी अतिवृष्टि की शिकार होती रही है। नईम की इन पंक्तियों की तर्ज पर कि 'सूखे का हुआ कभी/कभी हुआ बाढ़ का/पहला दिन मेरे आषाढ़ का"। इस बार आषाढ़ तो नहीं मगर...

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बाढ़ अब हर साल का किस्सा है-- दिनेश मिश्र

हाल के वर्षों तक बाढ़ को ग्रामीण समस्या के रूप में ही देखा जाता था और हमेशा बाढ़ से ग्रस्त रहने वाले इलाकों के लोगों, जो मुख्यत: किसान होते थे, की मान्यता थी कि बाढ़ आती है और चली जाती है। ऐसा विरले ही होता कि कभी ढाई दिन से ज्यादा टिकी हो। लेकिन हमारे बाढ़-नियंत्रण के प्रयासों ने अब गांवों की कौन कहे, शहरी क्षेत्रों को भी अपने में...

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