SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1787

फैक्ट चैक : कोरोनावायरस लॉकडाउन में मोदी सरकार के दस बड़े झूठ

-कारवां, 24 मार्च को जब केंद्र सरकार ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की तो सरकार के प्रतिनिधियों और मंत्रियों ने अपनी राजनीति को सही ठहराने और आलोचना से पल्ला छुड़ाने के लिए जनता के बीच लगातार आधी-अधूरी और झूठी बातें प्रचारित की. अधिकारियों ने जो दावे किए उनमें से कई जमीनी रिपोर्टों से मेल नहीं खाते. देश के कई हिस्सों में भूख और भुखमरी...

More »

शहरी गरीबों के लिए 'मनरेगा' योजना - झारखंड में मिलेगी 100 दिन रोजगार की गारंटी, बनेगा पहला राज्य

-गांव कनेक्शन,  ग्रामीण भारत में चल रही केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा की तरह झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अब नयी योजना के जरिये शहरों में 'रोजगार की गारंटी' देने जा रही है। कोरोना संक्रमण से लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में दिल्ली, मुंबई, इंदौर, पंजाब, हरियाणा और दक्षिण भारत के राज्यों से झारखंड वापस लौटे प्रवासी मजदूरों और शहरों के...

More »

क्या किसानों को तबाह कर के पूरी की जाएगी भारतमाला परियोजना?

-जनपथ, इस पूंजीवादी मॉडल की बेतरतीब योजनाओं में भारत की बुनियाद का तिनका-तिनका धरा पर बिखरता जा रहा है। किसान नेमत का नहीं बल्कि सत्ता की नीयत का मारा है। भारतमाला परियोजना के तहत बन रही सड़कें किसानों में बगावत के सुर पैदा कर रही हैं। इस योजना के तहत छह लेन का एक हाइवे गुजरात के जामनगर से पंजाब के अमृतसर तक बन रहा है, फिर आगे हिमालयी राज्यों तक...

More »

श्रम क़ानूनों में ढील देने से बाल मज़दूरी बढ़ेगी

-द वायर, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के गठबंधन ने लॉकडाउन के बाद श्रम कानूनों में ढील देने से महिला श्रमिकों पर दुष्प्रभाव पड़ने और श्रमबल में बाल मजदूरों की शामिल होने की आशंका जताई है और सरकार से विधेयक की समीक्षा करने की अपील की है. गठबंधन- वर्किंग ग्रुप ऑन वुमेन इन वैल्यू चैन्स (डब्ल्यूआईवीसी) ने रेखांकित किया है कि कैसे आर्थिक विकास की गति बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तर पर दी...

More »

टूटी हुई खाद्य प्रणाली और किसानों के लिए फ्री मार्केट का औचित्य?

-गांव कनेक्शन,  "1980 के दशक में किसान प्रत्येक डॉलर में से 37 सेंट घर ले जाते थे। वहीं आज उन्हें हर डॉलर पर 15 सेंट से कम मिलते हैं," यह बात ओपन मार्केट इंस्टीट्यूट के निदेशक ऑस्टिन फ्रेरिक ने कंजर्वेटिव अमेरिकन में लिखी है। उन्होंने इस तथ्य के जरिये इशारा किया कि पिछले कुछ दशक में किसानों की आमदनी घटने की प्रमुख वजह चुनिंदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती आर्थिक ताकत है।...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close