नई दिल्ली। पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि मंत्री शरद पवार ने फिर जेनेटिकली मॉडिफाइड [जीएम] फसलों को अपनाने की जोरदार वकालत की है। संसदीय समिति की सिफारिशों के उलट पवार ने सरकार से गुहार लगाई है कि गलत आशंकाओं के प्रभाव में न आकर जीएम फसलों जैसी वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित तकनीक को आगे बढ़ाया जाए। पवार ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में बिना लाग लपेट के कहा कि मौजूदा कृषि...
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पर्यावरण भी हो विकास का मानक- अनिल पी जोशी
हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...
More »बारिश का बढ़ा इंतजार, 15 दिन से ज्यादा लेट हो सकता है मानसून- डूंगर सिंह की रिपोर्ट
जयपुर.प्रदेश में इस बार मानसून के तय समय से एक माह से भी ज्यादा देरी से आने के आसार बन रहे हैं। 1 जून को केरल पहुंचा मानसून पश्चिमी उप्र में प्रवेश करते ही कमजोर पड़ गया। अब एक सप्ताह तक बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में से कहीं भी नए मौसमी तंत्र के विकसित होने के संकेत नहीं मिल रहे। उसके बाद तंत्र बनेगा तो भी...
More »जेब पर पड़ रहा बोझ, दो माह में 25 फीसदी महंगाई बढ़ी
रायपुर. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बाजार में खाद्य पदार्थो के दाम लगातार बढ़ रहे है। दो महीने में इनके दाम 25 फीसदी तक बढ़ गए हैं। चावल, दाल, तेल के दाम तो बढ़े ही, सब्जियों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं। व्यापारियों की मानें तो आने वाले दिनों में दाम और बढ़ने की संभावना है। खाद्य तेल व्यापारी प्रशांत धाड़ीवाल का कहना है कि सोयाबीन शिकागो से,...
More »मिट्टी हमारा साथ छोड़ रही है -अनिल जोशी
जीवन के मूल संसाधनों को लेकर कही गई पुरानी कहावतें आज के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा सही लगती हैं। मिट्टी भी उनमें से एक है। माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदें मोय, इक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूगी तोय। यह दोहा आज सटीक बैठ रहा है। मिट्टी के मोल अब पुराने नहीं रहे। यह भी अन्य प्राकृतिक संसाधनों की तरह विलुप्त होती जा रही है। यह संकट बड़ा है, क्योंकि...
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