-सत्यहिंदी, प्रेमचंद को लेकर साहित्यवालों में कई बार दुविधा देखी जाती है। उनका साहित्य प्रासंगिक तो है लेकिन क्यों? क्या ‘गोदान’ इसलिए प्रासंगिक है कि भारत में अब तक किसान आत्महत्या कर रहे हैं? या दलितों पर अत्याचार अभी भी जारी है, इसलिए ‘सद्गति’ और ‘ठाकुर का कुआँ’ प्रासंगिक है? क्या ‘रंगभूमि’ इसलिए पढ़ने योग्य बनी हुई है कि किसानों की ज़मीन कारखाने बनाने के लिए या ‘विकास’ के लिए अभी...
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कोविड-19: उत्तर प्रदेश में लक्ष्य से कम हो पा रही जांच, तेज़ी से बढ़ रहे मामले
-द वायर, उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के केस बीते एक महीने से तेजी से बढ़े हैं और अब यह आंकड़ा एक लाख पार कर गया है. बड़े महानगरों के साथ-साथ अब छोटे जिलों में भी तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है. प्रदेश में अब नौ ऐसे जिले हो गए हैं, जहां कोविड-19 केस दो हजार से अधिक हो गए हैं. चार जिलों में कोराना संक्रमण के मामले पांच हजार से अधिक हैं. प्रदेश...
More »अनुच्छेद 370 को उसी ढांचे में लाना राजनीतिक निर्णय से हो सकता, न्यायिक से नहीं: महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती
-आउटलुक, पिपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती कश्मीर से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर रही हैं। मां महबूबा मुफ्ती के ट्विटर अकाउंट का इस्तेमाल करते हुए इल्तिजा ने कश्मीर पर लिए गए फैसलों को लेकर कई बार भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। आउटलुक के नसीर गनई के साथ बातचीत में इल्तिजा का कहना है कि उन्हें...
More »कोरोना: बीते 24 घंटों में कर्नाटक के मुख्यमंत्री, तमिलनाडु के राज्यपाल सहित विभिन्न नेता संक्रमित पाए गए
-द वायर, बीते चौबीस घंटों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा और तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित समेत कई नेता कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. इनमें कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम, भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश सरकार के मंत्री महेंद्र सिंह शामिल हैं. इससे पहले उत्तर प्रदेश की कैबिनेट मंत्री कमल रानी का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया...
More »दिल्ली दंगा: क्या दिल्ली पुलिस जांच को 'विशेष दिशा’ में ले जाना चाहती है?
-आउटलुक, चीन के विपरीत भारत की सफल सरकारें बहुत कुछ पाने में सफल रही हैं। 1984 के दिल्ली दंगों और गुजरात में 2002 की सामूहिक जनसंहार से लेकर समय-समय पर सांप्रदायिक हिंसा और जम्मू-कश्मीर में दमन जैसी घटनाएं हुई। फिर भी भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा कटघरे में खड़ा होने से बच गया क्योंकि इसे लोकतंत्र के रूप में देखा जाता है। इन सभी मामलों में यह माना गया कि कानून का शासन...
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