नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। धीमी रफ्तार से बाहर निकलने की कोशिश कर रही अर्थव्यवस्था का जायजा लेने विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम सोमवार से तीन दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। उनके एजेंडे में सरकार की आर्थिक नीतियों के परिणामों का आकलन करने के साथ साथ विकास की दिशा में विश्व बैंक के लिए यहां संभावनाएं तलाशना है। पिछले साल जुलाई में विश्व बैंक के प्रमुख का पद संभालने वाले...
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आधी आबादी का पूरा हक ।।किरन राव।।
सिर्फ महिला दिवस आने पर ही महिलाओं की उपलब्धियों की चर्चा क्यों की जाती है? जेंडर पूर्वाग्रह का यह सबसे बड़ा कारण है. जरूरी है कि हम पूरे साल महिलाओं की उपलब्धियों की चर्चा करें और उनको प्रोत्साहित करें. क्यों किसी महिला का नाम तब तक हमारी जुबान पर नहीं आता, जब तक वह बड़ा कीर्तिमान स्थापित नहीं कर लेती. मेरीकॉम बिल्कुल विपरीत परिस्थिति में खुद को तैयार करती हैं, लेकिन लोग...
More »अच्छा कानून दिखावटी अमल- सुभाष गताडे
जनसत्ता 7 मार्च, 2013: सोनिया गांधी की अगुआई में बनी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने पिछले दिनों अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 को अधिक सशक्त बनाने के मकसद से सरकार के सामने अपनी सिफारिशें पेश कीं। दलितों और आदिवासियों पर सामाजिक बहिष्कार लागू करना, साझे संसाधनों के उनके इस्तेमाल पर रोक लगाना, मंदिरों में उनके प्रवेश को प्रतिबंधित करना जैसे मसलों पर कानूनी कार्रवाई करने का सुझाव इन सिफारिशों...
More »नकद पैसे का खेल- बनवारी
जनसत्ता 14 फरवरी, 2013: मनमोहन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि गरीबी एक आर्थिक और राजनीतिक समस्या के बजाय अब केवल वित्तीय समस्या रह गई है। केंद्र सरकार की प्राथमिक चिंता अब न बेरोजगारी है, न महंगाई। देश की इन दो सबसे बड़ी समस्याओं से मुंह चुराने का उसने एक आसान उपाय निकाल लिया है। देश के गरीब लोगों के हाथ में दमड़ी रख दो; इससे सरकार के कल्याणकारी...
More »सत्तर जैसा हाल, इक्यानबे जैसी आफत
नई दिल्ली, [अंशुमान तिवारी]। वित्त मंत्री के धमकाने पर विकास दर का आंकड़ा भले ही बदल जाए, लेकिन हकीकत बदलने वाली नहीं है। भारत के आर्थिक विकास की गति व्यावहारिक रूप से अब साठ-सत्तर के दशक वाली स्थिति में पहुंच गई है। विकास दर में से अगर विदेश व्यापार और विदेशी पूंजी को हटा दिया जाए तो देशी अर्थव्यवस्था पांच फीसद भी नहीं, बल्कि केवल 3 से 3.5 फीसद की दर से...
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