सीएनटी एक्ट में संशोधन वर्ष 1929, 1938, 1947, 1969, 1996 में हो चुका है. आज फिर इसमें संशोधन किये जाने पर कई सारे तर्क दिये जा रहें हैं. बेशक इसको लेकर सीएनटी एक्ट के दायरे में आनेवाले क्षेत्र के आदिवासियों के बीच ही इसके लाभ-हानि पर बहस होनी चाहिए. उसके पश्चात 27.9.2014 को राज्य की जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की बैठक में जिस तरह इसमें संशोधन का प्रस्ताव पारित कराया...
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डेढ़ करोड़ का पैकेज छोड़ बने किसान, अब विदेशों में एक्सपोर्ट होते हैं इनके अनार
कोलकाता के दीपक गोयल के सिर पर खेती का जुनून ऐसा चढ़ा कि वे सालाना डेढ़ करोड़ रुपए पैकेज की नौकर छोड़ किसान बन गए। दीपक ने खंडवा के बंजारी गांव के पास 100 एकड़ जमीन खरीदी। अनार के पौधे लगाए। छह साल कड़ी मेहनत की। एक-एक पौधे की देखभाल की। अब यह पौधे बेहतर क्वालिटी के अनार उगल रहे हैं। अनार विदेशों में भी एक्सपोर्ट किया जा रहा है।...
More »खरीद-बिक्री रोकने में असमर्थ हो चुका है सीएनटी एक्ट- जय कुमार दास
संताल परगना और छोटानागपुर प्रमंडल में सीएनटी/ टेनेन्सी एक्ट को खास कर इसलिए लागू किया गया था कि इन क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों (आदिवासी-गैर आदिवासी) की जमीन को धनाढय़ लोग औने-पौने में ना ले लें? परंतु अंतिम सेटलमेंट सन 1924-25 (संताल परगना) से यह साफ जाहिर होता है कि इन क्षेत्रों में जमीन की खरीद-बिक्री हुई है और उसे कानूनी जामा भी पहनाया जा चुका है. सीएनटी-टेनेन्सी एक्ट का आज...
More »बच्चों की फीस के लिए पिता ने घर बेचा
सहरसा: अंगद का सपना था कि बच्चियों को पढ़ा-लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा करें. इस दौरान जब पैसे की दिक्कत आयी तो उन्होंने पैतृक घर भी बेच डाला. बच्चियां भी पिता की अपेक्षा पर खरा उतरीं लेकिन महंगाई के इस दौड़ में अंगद का यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा है. घर बेचने के बाद जो पैसे आये, उससे बेटियों का नामांकन तो कराया लेकिन अब फाइनल परीक्षा...
More »विकास के मौजूदा मॉडल के विनाशकारी पहलू- सच्चिदानंद सिन्हा
आज जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. मौसम का चक्र बदल रहा है. कभी बिन मौसम भारी बरसात, तो कभी बारिश के मौसम में सूखा. कभी असमय भारी बर्फबारी, तो कभी धुंध. धरती गर्म हो रही है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. जलस्तर बढ़ने के कारण समुद्र से घिरे द्वीपीय इलाकों के डूबने का खतरा पैदा हो रहा है. इनके सबकी वजह है बढ़ता प्रदूषण और पर्यावरण का...
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