जमशेदपुर. पांच रुपए में सात जगहों पर सरकारी भोजन मिलेगा। इसमें भात दाल और सब्जी शामिल होगी। रोजाना दोपहर बारह से तीन बजे तक भोजन का वितरण किया जाएगा। सभी केंद्रों पर चार सौ लोगों के लिए भोजन बनेगा। कोई एनजीओ चाहे तो वहां आम लोगों को और बढिय़ा भोजन कराने में सहयोग कर सकता है। जमशेदपुर परिसदन में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री मथुरा प्रसाद महतो की अध्यक्षता में मंगलवार को...
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उनकी साख डूबी और इनकी संभावनाएं
नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। दुनिया की आर्थिक तस्वीर बिगड़ते ही रोजगारों का पूरा परिदृश्य तब्दील होने लगा है। वर्ष 2011 की शुरुआत में रोजगारों का बाजार मंदी से उबरने की उम्मीदें और सूचना तकनीक, रिटेल के अलावा इंजीनियरिंग व शोध विकास जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों की संभावना से सराबोर था। वहीं, आज सन्नाटा और आशका मुश्किलें आ जमी हैं। नौकरियों के लिए मुश्किलें तितरफा हैं। घाटे से परेशान सरकारें...
More »जब देश डूबें तो कौन बचाए!
नई दिल्ली, अंशुमान तिवारी; वित्तीय दुनिया चाहे जितनी पेंचदार हो, मगर यह हमेशा से एक अलिखित और व्यावहारिक भरोसे पर ही चलती है। रुपये अदा करने का वचन देने वाली कागजी मुद्रा (प्रॉमिसरी नोट) से लेकर अरबों डॉलर के बाडों और शेयरों तक फैला यही भरोसा अब दरकने लगा है। बात लीमन ब्रदर्स या बेरिंग्स नाम के बैंक अथवा एनरॉन या सत्यम जैसी कंपनी से भरोसा उठने की है ही...
More »हद से बाहर-सुधांशु रंजन
उच्चतम न्यायालय के हाल के कुछ निर्णयों को लेकर राष्ट्रीय बहस शुरू हो गई है कि अदालतों को नीतिगत मामलों पर फैसला करने का हक है या नहीं। कई राजनीतिक दल न्यायपालिका की सीमा तय करने के लिए संसद में बहस कराना चाहते हैं। इस मुद्दे पर 14वीं लोकसभा में भी बहस हो चुकी है और उसमें संसद को सर्वोपरि माना गया था। परंतु न्यायालय को समीक्षा का अधिकार है,...
More »प्लास्टिक से बनाई सड़कें !
भारतीय शहरों का ज़िक्र हो और सड़कों की बात चले तो ध्यान आती हैं टूटी-बदहाल सड़कें और बड़े-बड़े गड्ढे. ये सड़कें न सिर्फ ज़िंदगी की रफ्तार धीमी करती हैं बल्कि शहरों और कस्बों की खूबसूरती में पैबंद की तरह खटकती हैं. लेकिन भारत का एक शहर ऐसा भी है जहां एक शख्स ने कूड़े-कचरे और बेकार प्लास्टिक से सड़कें बनाने की नायाब पहल की. पेश है इस अनोखी कोशिश से जुड़ी सिटीज़न रिपोर्टर...
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