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एनआईए ने कबीर कला मंच के लोगों की गिरफ़्तारी के लिए दिया भाजपा-मोदी पर लिखे पैरोडी गीतों का हवाला

-द वायर, एल्गार परिषद मामले में सांस्कृतिक समूह कबीर कला मंच (केकेएम) के गायकों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने के लिए उनके द्वारा भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ पैरोडी गीत गाने को एक आधार बनाया गया है. केकेएम के सागर गोरखे (32) और रमेश गयचोर (38) द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका के जवाब में बॉम्बे हाईकोर्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपने इस कदम में...

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MSP की लड़ाई में न फंसे- भारत को WTO कानूनों में मौजूद असमानता को दूर करने का प्रयास करना होगा

-द प्रिंट, क्या भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत अपने कानूनी दायित्वों का उल्लंघन किए बिना अपने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैध गारंटी दे सकता है? क्या हैं समर्थन मूल्य और कृषि सब्सिडी से संबंधित ये कानून और भारत की प्रतिबद्धताएं क्या हैं? अब तक, एमएसपी जैसे किसान समर्थक उपायों को लागू करने के लिए भारत एक तरफ खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा और दूसरी तरफ डब्ल्यूटीओ कानून में...

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कोरोना और सर्दी के बीच एम्स के बाहर रात गुजारने को मजबूर मरीज

-न्यूजलॉन्ड्री,  राजधानी दिल्ली में स्थित देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में अच्छे व सस्ते इलाज की उम्मीद में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं. यहां आम आदमी ही नहीं बल्कि नेता, मंत्री और देश की जानी मानी हस्तियां भी इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुविज्ञान संस्थान (एम्स) को प्रमुखता देती हैं. एक आम आदमी जो प्राइवेट अस्पताल का खर्च वहन नहीं कर सकता, वह एम्स को अपनी आखिरी उम्मीद...

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हाथों से मैला उठाने की कुप्रथा यहाँ पीढ़ियों से चली आ रही, इस दंष से अभी तक आजाद नहीं हुई ये महिलाएं

-गांव कनेक्शन, बांस की डलिया बगल में दबाकर नीले रंग की छींटदार साड़ी पहने शोभारानी रोजमर्रा की तरह आज भी सुबह 10 बजे मैला उठाने के लिए गाँव की गलियों में निकल पड़ी थीं। नाक पर साड़ी का पल्लू बांधकर ये मैला उठा रहीं थीं। शोभारानी अपने गांव में ही उन घरों से मैला (मानव मल) उठाने जा रही थीं, जिनके घरों में या तो शौचालय नहीं हैं या फिर वो...

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पेरिस समझौते के 5 साल: भारत के 75 फीसदी से ज्यादा जिलों पर मंडरा रहा है जलवायु परिवर्तन का खतरा

-डाउन टू अर्थ, हाल ही में काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीइइडब्लू) द्वारा किए शोध से पता चला है कि देश में 75 फीसदी से ज्यादा जिलों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। इन जिलों में देश के करीब 63.8 करोड़ लोग बसते हैं। यह अध्ययन पिछले 50 सालों (1970-2019) के दौरान भारत में आई बाढ़, सूखा, तूफान जैसी मौसम सम्बन्धी आपदाओं के विश्लेषण पर आधारित है। इसमें...

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