महीनों की बातचीत के बाद राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने एक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल की सिफारिश कर दी है। यह बिल मुख्य अनाज के लिए आम लोगों के कानूनी अधिकार को पहले सोचे गए स्तर से भी नीचे ला देता है। और इस तरह परिषद ने भूख समाप्त करने के लिए सर्वजनीन सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से संगठित प्रयास शुरू करने का ऎतिहासिक अवसर खो दिया है। भारत में अनाज...
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कहीं खटाई में पड़ न जाए महामाया योजना
कानपुर। मुख्यामंत्री मायावती द्वारा प्रदेश के गरीबों के लिए महामाया गरीब आर्थिक योजना चालू की गयी है। जिसके तहत समाज के नीचे तबके के लोगों को आर्थिक मदद देने का प्रवधान है। योजना का लाभ पहुंचाने के लिए जिले के 60 हजार सही पात्रों का चयन किया गया था। लेकिन दो माह गुजर जाने के बाद अभी तक सिर्फ 15 हजार पात्रों के ही सात्यापित आवेदन फार्म जमा हो पाए है।...
More »घर में अनाज नहीं था मर गया बीमार गुरुचरण
पूरा राज्य सूखाग्रस्त घोषित हो चुका है. लोगों को राहत देने की कवायद भी शुरू की जा चुकी है. सरकार दावा करती है, किसी को भूख से मरने नहीं दिया जायेगा. हर हाथ को काम, हर पेट को अनाज मिलेगा. पर यहां तो अनाज गोदामों में रखे-रखे ही सड़ जा रहे हैं. गरीब, बेबस लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे. लोग भूखों मरने पर विवश हैं. पिछले दिनों सिल्ली के...
More »नरेगा शिकायतों में 'सरताज'
भीलवाड़ा। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को घर बैठे रोजगार उपलब्ध कराने वाली महात्मा गांधी नरेगा विकास में भले अव्वल न बने, लेकिन शिकायतों में जरूर 'सरताज' बन गई है। योजना शिकायतों के 'भंवर' से बाहर नहीं निकल पा रही है। राजस्थान में रोजाना औसतन 50 शिकायतें नरेगा से जुड़ी हुई प्राप्त हो रही हैं। शिकायतों की बाढ़ के चलते विकास की अधिकारी जांच के 'भंवर' में फंस गए हैं। शिकायतों...
More »राजनीतिक हकीकत के छह सूत्र --- योगेन्द्र यादव
तो बिहार में क्या होगा? अगर आप छह दिन बिहार में घूम कर आयें तो दिल्ली में हर कोई इसी सवाल से आपका स्वागत करता है. सवाल के पीछे चुनावी सटोरिये की गिद्ध दृष्टि या फ़िर राजनीति के कीड़े की उत्सुकता तो होती ही है. लेकिन बिहार की बात निकलते ही कहीं एक औपनिवेशिक दर्प टपकने लगता है. आप कितना ही कह लीजिये कि राजनीतिक चेतना में बिहार अधिकांश देश से...
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