क्या मनरेगा को जस का तस छोड़ा जा सकता है? मनरेगा के मामले में नागरिक-संगठन आखिर इतना हल्ला किस बात पर मचा रहे हैं? क्या ग्रामीण इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता बहुत ज्यादा की मांग कर रहे हैं? क्या यूपीए- II वह सारा कुछ वापस लेने पर तुली है जो यूपीए- I ने चुनावों से पहले दिया था? चुनौती सामने है, मनरेगा गहरे संकट में है। अरुणा राय और ज्यां द्रेज सरीखे...
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किसान-सरकार साझेदारी का मॉडल
भू-अर्जन कानून 1894 में मामूली सा संशोधन कर ग्रामसभा की भूमि का उपयोग बदले जाने के बावजूद भारत के गांवों के किसानों एवं भूमिहीनों के वंशजों का भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है। इस संशोधन का नाम सक्रिय समूहों ने किसान-सरकार साझेदारी तय किया है। अगस्त में उत्तर प्रदेश के जिरकपुर हुए किसान आंदोलन के बाद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने एक स्वर में भू-अर्जन कानून 1894 में संशोधन की मांग की थी। मामला...
More »किसानों को बांटा 90,000 करोड़ रुपये का कर्ज
सरकार ने सोमवार को कहा कि बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की पहली तिमाही में 90,000 करोड़ रुपये का ऋण किसानों को वितरित किया है। सरकार ने वित्तवर्ष 2010-11 के लिए किसानों को 3,75,000 करोड़ रुपये का ऋण वितरित करने का लक्ष्य रखा है। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि वित्तवर्ष 2010-11 में जून 2010 तक देश भर में किसानों को 89,687 करोड़ रुपये का कृषि ऋण...
More »खाद-बीज के लिए हाहाकार
रबी सीजन शुरू होते ही हर साल की तरह इस सत्र में भी खाद-बीज के लिए हाहाकार मचने लगा है। खाद-बीज के उपलब्धता के शासन व प्रशासन के दावे बेकार साबित हो रहे हैं। पंचायत चुनाव और उसके बाद दीवाली की छुट्टियों के नाते सभी सहकारी समितियों और कृषि विभाग के गोदामों पर अभी खाद-बीज पहुंचा नहीं। जो पहुंचा वह कब और कहां बंट गया किसी को पता नहीं। हमारे गगहा...
More »आत्मसम्मान का मजबूत होता जज्बा-- योगेन्द्र यादव
-सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन द्वारा देश की राजधानी में आयोजित सम्मेलन अपने आप में एक ऐतिहासिक घड़ी थी. -सदियों से मैला उठाने वाला समाज अब टोकरी नहीं आवाज उठाना चाहता है, हाथ में झाड़ू नहीं किताब लेना चाहता है. -सरकार के झूठे वादों पर उम्मीद बांधने की बजाय अब इस समाज ने खुद मैलाप्रथा को खत्म करने की ठान ली है. आज भी कई लाख लोग अपने सर पर मैला उठाने को अभिशप्त हैं....
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