मनोरमा एक साधारण महिला जैसी ही हैं, लेकिन उनका हौसला जरूर बुलंद है. उन्हें देखकर यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन उनके पिछले सात सालों के संघर्ष गाथा को जानने के बाद यह संदेह भी दूर होता है. क्योंकि मनोरमा ने भ्रष्ट प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़कर अपना हक हासिल किया. यही नहीं, उन्होंने तत्कालीन एसडीओ पर 25 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना, एसपी को जवाब...
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‘सड़क’ पर रुपये को लेकर भिड़े केंद्र-राज्य
पटना : कालीकरण (टॉप ब्लैक) के चक्कर में राज्य में 20 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों के निर्माण का काम फंस गया है. केंद्र सरकार राज्य से पहले स्वीकृत सड़कों का हिसाब मांग रही है. बिना उपयोगिता प्रमाणपत्र लिये केंद्र आगे की राशि देने को तैयार नहीं है. इधर, राज्य सरकार का कहना है कि राज्य में बननेवाली सड़कों का निर्माण कई चरणों में फंसा हुआ है. केंद्र से समय पर...
More »सरकारी बीजों ने फिर दिया धोखा, पहले बीज नहीं उगे, अब पौधे सूख गए
रायपुर. प्रदेश के किसानों को एक बार फिर से सरकारी बीजों ने धोखा दे दिया है। सरकारी एजेंसी बीज निगम ने किसानों को सोयाबीन जो बीज बांटे थे, उनसे पौधे तो अच्छे तैयार हो गए, लेकिन जब फल (फल्ली) लगने के समय अचानक पौधे सूख गए। ऐसी घटना एक-दो किसानों के खेतों में नहीं बल्कि राजनांदगांव, कवर्धा और बेमेतरा के सैकड़ों किसानों के खेतों में हुई है। खड़ी फसल सूखने...
More »दवा कंपनियों को राहत आम आदमी पर आफत
बीते सोमवार की रात को, दवाओं की कीमतों के नियामक, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सबको चौंका दिया. उसने उन 108 दवाओं को नियंत्रण से मुक्त कर दिया है, जिन्हें उसने दो महीने पहले ही ‘जनहित' के आधार पर मूल्य नियंत्रण के तहत लिया था. उसने इसकी कोई वजह नहीं बतायी. सिर्फ इतना कहा कि भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रलय के...
More »आखिर किस कीमत पर विकास? - एमएम बुच
प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि भारत में तीव्र आर्थिक विकास और औद्योगीकरण आवश्यक है, किंतु उत्पादन की गुणवत्ता इतनी ऊंची होनी चाहिए कि विश्व भर में उसकी ख्याति हो। साथ ही विकास एवं औद्योगीकरण पर्यावरण के अनुकूल हो। इस ओर विशेष ध्यान दिया जाए कि विकास के कारण पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यूपीए सरकार से यह शिकायत रहा करती थी कि भू-अर्जन नीति...
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