लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...
More »SEARCH RESULT
मध्यप्रदेश का हर 100 में से एक व्यक्ति हेपेटाइटिस बी की चपेट में - शशिकांत तिवारी
प्रदेश में हर सौ में से एक व्यक्ति हेपेटाइटिस बी जैसी जानेलेवा बीमारी की चपेट में है। लेकिन, 90 फीसदी से ज्यादा लोगों को इसका पता ही नहीं है। हर साल प्रदेश में करीब 2800 लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। यह खुलासा मप्र एड्स कंट्रोल सोसायटी की रिपोर्ट में हुआ है। अप्रैल 2015 से मार्च 2016 के बीच 2 लाख 80 हजार लोगों की जांच में...
More »ताकि बैंकों की साख कायम रहे- एन के सिंह
हेनरी पॉलसन के मुताबिक, 'अगर कोई आर्थिक-तंत्र बिखरता है, तो फिर उसे पटरी पर लाना वाकई बहुत-बहुत मुश्किल हो जाता है।' भारत का वित्तीय क्षेत्र अभी गंभीर संकट में उलझा हुआ है। और यह संकट मुख्यत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों, यानी एनपीए के कारण पैदा हुआ है। 31 दिसंबर, 2015 तक 24 सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए 3,93,035 करोड़ रुपये था। अगर इसमें जोखिम वाले...
More »2050 तक विदेश से खरीदना पड़ सकता है पीने का पानी
मुंबई। देश अबतक के सबसे भीषण जलसंकट से जूझ रहा है, लेकिन इस बीच एक और खौफनाक रिपोर्ट जारी हुई है। पानी की उपलब्धता को लेकर किए गए सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जिस तेजी के साथ जलस्तर कम हो रहा है, उसे देखते हुए 2050 तक पीने का पानी भी बाहर के देशों से आयात करना पड़ेगा। तब तक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 3120 लीटर हो...
More »हरित ऊर्जा को सस्ता बनाना ही समाधान- ब्योर्न लॉम्बॉर्ग
आज दुनिया भर के तमाम नेता अब तक के सबसे खर्चीले जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन नेताओं में शामिल होंगे। मगर सच यही है कि पेरिस समझौते की जितनी कीमत हम चुकाने वाले हैं, उसकी उपलब्धि उतनी ही कम रहने वाली है। इस समझौते में औसत वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि को औद्योगिक युग के पहले के स्तर से दो डिग्री...
More »