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कोविड-19 से प्रभावित उत्तर और मध्य भारत के ग्रामीण क्षेत्र क्या अनदेखी का शिकार हुए हैं

-द वायर, कोविड-19 की दूसरी लहर ने कई ग्रामीण इलाकों में बहुत तबाही मचाई है. गांवों पर महामारी का प्रभाव सरकारी आंकड़ों में ज़्यादातर दिखाई नही देता है. मगर स्थानीय खबरें कुछ और ही दृश्य दिखाती हैं: गांवों में तेज़ी से फैले संक्रमण, ऊंची मृत्यु-दर, बहुत ही कम कोविड टेस्टिंग, और स्वास्थ्य-सेवाओं का ढह जाना. हमने मई 2021 के पहले तीन हफ्तों से कुल इकसठ (61) ऐसी खबरों को इकट्ठा किया, जिनमें...

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मध्य प्रदेश: पर्यावरण दिवस पर वन बचा रहे शिवराज बक्सवाहा के जंगलों की बर्बादी पर मौन क्यों हैं

-द वायर, ‘बाग-बगीचे, जंगल, हरियाली केवल मनुष्य के लिए ही जीवनदायिनी नहीं है, अपितु जीव-जंतु, पशु-पक्षी आदि के जीवन का आधार है.’ ये शब्द मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हैं, जो 5 जून 2021 यानी ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के दिन एक अखबार में छपे उनके लेख में लिखे थे. लेकिन, विडंबना देखिए कि पर्यावरण के प्रति इतनी अधिक संवेदनशीलता रखने वाले शिवराज के ही राज्य के एक हिस्से में...

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खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों से गरीब और प्रवासी मजदूरों को बचाने की अनकही चुनौती!

30 मई, 2021 को राष्ट्र के नाम अपने मन की बात संबोधन में, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस तथ्य की सराहना की कि किसानों को रबी उत्पादन से संबंधित "सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक" प्राप्त हुआ. पीएम के इस बयान से आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरियाणा (और अन्य जगहों) में सरसों उत्पादकों ने बेहतर कीमत पाने के लिए एपीएमसी मंडियों (राज्य...

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गंगा में कोरोना विषाणु का सर्वाइवल मुश्किल, नदी में महाजाल से डॉल्फिन को नुकसान का अंदेशा

-डाउन टू अर्थ,  "गंगा से लिए गए नमूनों में कोरोना विषाणु की उपस्थिति की आशंका बहुत कम है। विषाणु का भी जीवन है और वह मृत हो चुका होगा, मेरा अनुमान है कि वह पानी में जीवित नहीं रह पाएगा। नमूनों का अभी एक स्तर का परीक्षण हो चुका है और आगे के लिए जांच जारी है, इसके निर्णायक परिणाम आना बाकी हैं। यह परिणाम केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के जरिए...

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काम जारी है

-कारवां,  फुर्सत के नायाब पल में पांच दिसंबर 1956 की रात भीमराव आंबेडकर दिल्ली के अलीपुर रोड स्थित अपने किराए के मकान में रेडियोग्राम पर बज रही बौद्ध प्रार्थना को सस्वर दोहरा रहे थे, “बुद्धम शरणं गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि, संघम शरम् गच्छामि” कि तभी उनका रसोइया डिनर के लिए आने को कह कर उनका ध्यान-भंग करता है. उन्हें थोड़ा-सा चावल खाने के लिए बहुत मान-मनौव्वल करना पड़ता था. डाइनिंग टेबल तक...

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