देश में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना (एसइसीसी) के अलग-अलग पहलुओं पर बहस चल रही है। कुछ जानकार इस तथ्य की तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस जनगणना ने भारतीय अर्थव्यवस्था के कई स्याह हिस्सों पर रोशनी डाली है। विकास के कोलाहल में स्याह हिस्सों को कोई भी सरकार नहीं देखना चाहती। चाहे वह कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार रही हो, जिसने इस जनगणना के आंकड़ों को जानबूझ कर...
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किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
More »रोजगार सृजन की नीति- डा भरत झुनझुनवाला
वित्त मंत्रालय द्वारा प्रकाशित इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, वर्ष 2009 से 2012 में प्रति वर्ष संगठित क्षेत्र में मात्र 5 लाख रोजगार का सृजन हुआ है. हमारे श्रम बाजार में प्रति वर्ष एक करोड़ युवा प्रवेश कर रहे हैं, पुराना बैकलॉग कम से कम 6 करोड़ का है. क्या कारण है कि हम केवल 5 लाख रोजगार प्रति वर्ष सृजित कर रहे हैं? कारण है कि कंपनियों द्वारा मशीनों का...
More »भेदभाव का यंत्र नहीं मोबाइल- नीलांजन मुखोपाध्याय
करीब बीस वर्ष पहले की बात है। तब के केंद्रीय संचार मंत्री ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु को हाथ से पकड़ने वाले एक यंत्र से फोन किया। बसु ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में उसी तरह से हाथ में पकड़ने वाले यंत्र से संचार मंत्री की बातें सुनीं। आखिर इस बातचीत में खास क्या था? असल में, दोनों व्यक्ति जिस यंत्र से बात कर रहे थे, वह न...
More »भारतीय अर्थव्यवस्था में 8 से 10 फीसद वृद्धि हासिल करने की क्षमता : अरविंद पनगढिया
सिंगापुर : नीति आयोग के उपाध्यक्ष प्रोफेसर अरविंद पनगढिया ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में दीर्घावधि में 8 से 10 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है. उन्होंने आज कहा, 'दीर्घावधि में वृद्धि दर अगले 15 साल तक 8 से 10 प्रतिशत पर टिकेगी. भारत के पास इसकी अच्छी संभावनाएं व सरकार की वृद्धि आधारित नीतियों का पूरा समर्थन है.' नरेंद्र मोदी सरकार की व्यापक आर्थिक नीतियों व...
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