आखिरकार भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली। उसने इस साल मानसून के कमजोर रहने का अंदेशा जताया था। तब वित्तमंत्री ने कहा था कि घबराने की बात नहीं है, हो सकता है मानसून संबंधी पूर्वानुमान गलत निकले। दरअसल, वित्तमंत्री को बाजार की चिंता सता रही थी और वे निवेशकों को आश्वस्त करना चाहते थे कि सब कुछ ठीकठाक रहेगा। पर अब मौसम संबंधी पूर्वानुमान पहले से कहीं अधिक वैज्ञानिक...
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30 साल के सबसे बड़े सूखे जैसे हालात, घट सकती है GDP की ग्रोथ रेट
नई दिल्ली। अल नीनो की वजह से कमजोर होते मानसून ने देश के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। ऐसे में लगातार दूसरे साल फसलों के लिए मौसम प्रतिकूल हो गया है। इसका सीधा असर प्रोडक्शन से लेकर इकोनॉमी पर पड़ने की आशंका है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि करीब 30 साल बाद लगातार दूसरे साल सूखे जैसे हालात बन गए हैं। इकोनॉमिस्ट के अनुसार अगर स्थिति...
More »यूरोप में पानी से भी सस्ता बिक रहा है दूध
ब्रिटेन। यूरोप में दूध की गंगा बह रही है। बोतलबंद पानी से भी सस्ता मिल रहा है दूध। मगर, इसका कारण वहां की समृद्धि नहीं है। इसके उलट चीन और रूस में यूरोपीय दूध की मांग कम होने से वहां दुग्ध उत्पादकों में हड़कंप मच गया है। उनकी आमदनी प्रभावित हो रही है और इसके चलते यूरोपीय देशों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। दरअसल, रूस ने आयात पर प्रतिबंध...
More »यूरोप में पानी से भी सस्ता बिक रहा है दूध
ब्रिटेन। यूरोप में दूध की गंगा बह रही है। बोतलबंद पानी से भी सस्ता मिल रहा है दूध। मगर, इसका कारण वहां की समृद्धि नहीं है। इसके उलट चीन और रूस में यूरोपीय दूध की मांग कम होने से वहां दुग्ध उत्पादकों में हड़कंप मच गया है। उनकी आमदनी प्रभावित हो रही है और इसके चलते यूरोपीय देशों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।दरअसल, रूस ने आयात पर प्रतिबंध...
More »किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
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