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भारत और चीन के विवाद का कारोबार पर कितना असर पड़ा?

-बीबीसी, भारत और चीन के बीच बिगड़ते रिश्ते इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि पिछले कुछ सालों में भले ही दोनों देशों में गर्मजोशी दिखी, लेकिन उनके बीच कुछ मूलभूत विवाद अभी भी बने हुए हैं. ऐसे में दोनों देशों के आपसी रिश्तों के भविष्य को लेकर भारत की विदेश नीति की भूमिका काफ़ी अहम हो जाती है. भारत की पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव कहती हैं कि "पिछले 45...

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गन्ने की FRP बढ़ने के बाद अब किसानों को कितने रुपए प्रति कुंतल का मिलेगा रेट?

-गांव कनेक्शन, देश के गन्ना किसानों के लिए अच्छी खबर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्रीय कैबिनेट ने गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 10 रुपए प्रति कुंतल की बढ़ोतरी कर दी है। मोटे दौर पर देंखे तो अब देश के करीब एक किसानों को गन्ने का सरकारी तय मूल्य 285 रुपए प्रति कुंतल का मिलेगा। लेकिन गन्ने की वास्तविक कीमत क्या होगी ये उससे निकलने वाली...

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बिहार के मक्का किसानों का दर्द- हम नहीं चाहते कि हमारे बच्चे भी किसानी करें, क्योंकि इसमें किसी तरह का फायदा नहीं है

-गांव कनेक्शन,  "संसार में जो भी निर्माता है, अपनी वस्तुओं का मूल्य निर्धारण वो खुद करते हैं, तो आखिर किसानों की फसल का मूल्य निर्धारण करने वाले वे (सरकार) कौन होते हैं, इसका अधिकार मुझे क्यों नहीं मिला अभी तक।" न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रति अपना गुस्सा जाहिर करते हुए मधेपुरा ज़िला (बिहार) के रामपुर गांव के किसान जगदेव पंडित कहते हैं कि फसलों की सही कीमत न मिल पाने के...

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हिंदी पट्टी का रक्त-चरित्र; पिछले चार दशकों में ऐसे पनपी बाहुबली संस्कृति

-आउटलुक, “हिंदी प्रदेशों और खासकर सियासी तौर पर सबसे अहम उत्तर प्रदेश के सामाजिक-राजनैतिक तानेबाने में पिरोयी गैंगस्टर और बाहुबली संस्कृति पिछले चार दशकों में राजनीति के तौर-तरीकों का नतीजा” यकीनन अपने रंग-ढंग और सामाजिक परिस्थितियों में पुराने दौर के बागी डकैतों और आज के गैंगस्टर या डॉन वगैरह का चाल, चरित्र सब कुछ एकदम अलग है। लेकिन दोनों की जुबान पर आज भी वही गर्व से फबता है, जो सबसे लोकप्रिय...

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तीन साल से तीन महीने की मजदूरी के लिए भटक रहे हरियाणा के 145 मनरेगा मजदूरों को इंसाफ कौन दिलाएगा?

-गांव कनेक्शन,  "सरपंच के कहने पर तीन महीने तक मनरेगा के तहत दिहाड़ी की, लेकिन एक भी फूटी कौड़ी नहीं मिली। मिली तो सरपंच से मारने-पिटने की धमकी और गालियां। मजदूरों को तो इंसान समझते ही नहीं। अपनी मजूरी मांगते हैं तो डराकर भगा देते हैं। हमारे पैसे जो सरकार ने भेजे थे उन्हें खुद ही जीम (डकारना) गए। गरीब आदमी को तो दिहाड़ी के नाम पर बस गालियां ही मिली"...

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