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भारत का वित्त संकट टैक्स रेवेन्यू के 12.5 प्रतिशत गिरने से और बढ़ेगा

-द प्रिंट, इस सप्ताह के शुरू में जो आंकड़े जारी किए गए वे जीएसटी के मद में अगस्त माह में हुई आय में गिरावट दर्शाते हैं. टैक्स से होने वाली आय में कमी का अनुमान लगाया भी जा रहा था. भारत में कोविड-19 के हमले के बाद लागू किए गए लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हो गई थीं. नतीजतन, उत्पादन में कमी और इसके चलते टैक्स में गिरावट होनी...

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भारतीय जीडीपी में 2020-21 की पहली तिमाही में 23.9% की रिकॉर्ड गिरावट, राजकोषीय स्थिति भी बेहद खराब

द प्रिंट, कोविड-19 संकट के बीच देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े सोमवार को जारी किए. इन आंकड़ों में जीडीपी में भारी गिरावट दिखी है. सकल घरेलू उत्पाद में इससे पूर्व वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण की...

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मोदी सरकार के प्रोजेक्ट डॉल्फिन से पर्यटन नहीं बढ़ सकता क्योंकि गंगा की डॉल्फिन फिल्मी नहीं

-द प्रिंट, देश के नेतृत्व से व्यावहारिक विचार की आशा रहती है और वे महान विचार की जिद पर अड़े रहते हैं. एक कहानी सुनिए– दो दशक पहले की बात है. 1989 के दिसंबर की सर्दियां थीं. देश में कुछ महीनों वाले प्रधानमंत्रियों का दौर शुरू हो गया और उस समय जिम्मेदारी संभाल रहे थे राजा मांडा वीपी सिंह. उन्हें बताया गया कि पूर्ववर्ती राजीव गांधी ने गंगा में एक कछुआ सेंचुरी का...

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इस 22 अगस्त से दुनिया एक बार फिर से पृथ्वी की लूट-खसोट में लग गई है

-सत्यहिंदी, दुनिया के लगभग हर देश की सरकारें करों आदि से होने वाले अपने राजस्व से अधिक ख़र्च करती हैं. अपने अतिरिक्त ख़र्च के लिए उन्हें ऋण लेने पड़ते हैं. उदाहरण के लिए, भारत की सरकारों द्वारा लिए गये ऋण, भारत के हर नागरिक पर इस समय औसतन 1,400 डॉलर से भी अधिक बैठते हैं. एक डॉलर इस समय लगभग 75 रूपये के बराबर है. घाटे के बजट की ही तरह दुनिया...

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ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ठीक से लागू करने के लिए सरकारी कर्मचारी कहां हैं?

केंद्र सरकार द्वारा हर साल अपने वार्षिक बजट में ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों के लिए भारी रकम आवंटित की जाती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में अधिकारी नहीं होते हैं, तो क्या अधिकारियों की कमी के चलते सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ठीक से लागू किया जा सकता है? यदि हम इस मुद्दे के बारे में गहराई से सोचें तो हमें जवाब तो आसानी से मिल...

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