-कारवां, हरियाणा और पंजाब के किसान संसद में पारित हुए तीन कृषि कानूनों (कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, 2020) के खिलाफ आंदोलित हैं. हरियाणा में इन दिनों चल रहे किसान आंदोलन की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन (चढूनी)के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी कर रहे हैं जो पिछले 30 सालों से हरियाणा में किसान आंदोलन...
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क्यों ये तीन विधेयक कुछ के लिए किसानों की आजादी हैं तो बाकियों के लिए उनकी मौत के फरमान
-सत्याग्रह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हें किसानों के लिए रक्षा कवच कह रहे हैं. उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए ये किसानों की मौत का फरमान हैं. इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि से जुड़े और संसद से पारित हो चुके तीन विधेयकों पर राय के जो दो छोर हैं उनके बीच कितना फासला है. देश के कई राज्यों में किसान इन विधेयकों पर गुस्से का इजहार करते...
More »कृषि विधेयक और श्रम क़ानून में बदलाव: महामारी के बीच मोदी सरकार का विध्वंसकारी खेल
-द वायर, पिछले साल नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था कि बड़े संरचनात्मक सुधारों जैसे नोटबंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था और इसके विकास में गंभीर व्यवधान पैदा किया है, भले ही ऐसे सुधार लंबे समय में फायदेमंद होंगे. इससे पहले कि इन तबाही लाने वाले मशहूर सुधारों के कोई लाभ दिखाई देते, मोदी सरकार ने नए कृषि विधेयकों और श्रम कानूनों में बदलाव के रूप...
More »किसानों के विरोध में किसी फैसले में एनडीए का भागीदार नहीं बनना चाहते, इसलिए दिया इस्तीफा: हरसिमरत कौर
-आउटलुक, लोकसभा में 14 सिंतबर को पेश किए गए कृषि अध्यादेशों के विरोध में उतरे एनडीए के प्रमुख घटक शिरोमणी अकाली दल(शिअद) ने इन अध्यादेशों को लेकर एनडीए से दूरी बना ली है। एनडीए सरकार में शिअद के कोटे से एक मात्र मंत्री हरसिमरत कौर के इस्तीफे से शिअद ने साफ संकेत देने की कोशिश की है कि पंजाब के किसानों के बीच अपनी सियासत को जिंदा रखना उसके लिए ज्यादा...
More »हरियाणा: जान जोखिम में डाल सीवर साफ करने वाले रोहतक के कर्मचारियों को नहीं मिलता तय वेतन
-न्यूजलॉन्ड्री, साल 1995 की बात है. हरियाणा का रोहतक शहर बाढ़ से बुरी तरह जूझ रहा था. पानी की निकासी के सारे रास्ते बंद होने के कारण लोगों के घरों में चार-चार फुट तक पानी भर गया था. बाढ़ के पानी में शहर का मल-मूत्र भी तैर रहा था, जिसके कारण पूरे शहर का जीवन नरकीय हो गया था. ऐसी स्थिति में शहर को इस संकट से बचाने का सारा दबाव...
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