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बोल बड़े बिल अटके पड़े- हिमांशु शेखर

कांग्रेस दावा करती है कि उसका हाथ आम आदमी के साथ है. लेकिन उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने कई ऐसे विधेयक लटका रखे हैं जिनका सीधा संबंध उसी आम आदमी की भलाई से है. हिमांशु शेखर की रिपोर्ट. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मुख्य पार्टी कांग्रेस के नेता यह दावा करते हुए नहीं अघाते कि उनकी सरकार के लिए आम आदमी का कल्याण सबसे पहले है. लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली...

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लखीमपुर: महिला तस्करी की नई राजधानी- प्रियंका दुबे

रह्मपुत्र और सुबनसिरी जैसी विशाल नदियों के बीच बसा असम का लखीमपुर जिला पहली नजर में खुशहाल इलाका दिखता है. ढलानों पर पसरे चाय-बागान, दूर तक फैले धान के खेत और पानी से लबालब सैकड़ों तालाब. लेकिन सतह को थोड़ा ही कुरेदने पर इस खुशनुमा तस्वीर के पीछे की भयावह सच्चाई दिखती है. पता चलता है कि बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ते मजदूरों और पानी में डूबे खेतों में...

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आपको प्लास्टिक खाना पसंद है?- मेनका गांधी

मछली खाने पर आपको क्या मिलता है? केमिकल! इंसानी मल! प्लास्टिक! सबसे पहले बात करते हैं प्लास्टिक की। ब्रिटेन के प्लाइमाउथ विश्वविद्यालय के मरीन पॉल्यूशन बोर्ड ने हाल ही में एक अध्ययन में पाया कि इंग्लैंड के तट पर पाई जाने वाली एक तिहाई मछलियों के पेट में प्लास्टिक है। उत्तर सागर, अटलांटिक महासागर और ब्रिटेन के आसपास के पानी में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक मछलियों के पेट में जा...

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जमानत के लिए नहीं थे 5000, बिताने पडे़ 19 साल जेल में

नई दिल्ली। यह भारतीय न्यायिक प्रणाली के लिए बड़ा सवाल है? एक महिला को जेल में उन्नीस साल सिर्फ इसलिये बिताने पड़े, क्योंकि उसके पास जमानत लेने के लिये 5000 रुपये नहीं थे। यह महिला पांच हजार रुपये न होने की वजह से उन्नीस साल जेल में सड़ती रही। जेल में ही उसने अपने बेटे को जन्म दिया, उसी बेटे ने 19 साल बाद पैसे जुटाकर मां की जमानत कराई। आज...

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हिंदी पत्रकारिता दिवस विशेष- हिंदी पत्रकारिता : भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी

हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है। भारतवर्ष में आधुनिक ढंग की पत्रकारिता का जन्म अठारहवीं शताब्दी के चतुर्थ चरण में कलकत्ता, बंबई और मद्रास में हुआ। 1780 ई. में प्रकाशित हिकी का "कलकत्ता गज़ट" कदाचित् इस ओर पहला प्रयत्न था। लेकिन हिंदी पत्रकारिता की सही मायने में शुरुआत हिंदी के पहले पत्र उदंत मार्तण्ड के प्रकाशित होने के साथ 30 मई 1826 को हुई। इसीलिए इस...

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