विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...
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जन्म से बंधी सामाजिक बेड़ियां : हर्ष मंदर
लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...
More »फेंके जूठन से आग बुझती पेट की
आसनसोल : विकासशील देशों के लिस्ट में लगातार आगे बढ़ रहे भारत में अब भी लाखों बच्चे ऐसे हैं जो हर दिन लोगों द्वारा फ़ेके हुए कचरे से अपना पेट भरते हैं. शनिवार को आसनसोल रेलवे स्टेशन के सात नंबर प्लेटफॉर्म पर कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला. चार गरीब बच्चे कचरे के पास पहुंचे और एक पॉलिथिन को उठा-उठा कर देखने और खोलने लगे. एक पॉलिथिन में कुछ बचा हुआ...
More »राजस्थान में आदिवासी अधिकारों की अनदेखी
सामाजिक अधिकारिता के कानूनों के होने भर से किसी समुदाय के सशक्तीकरण की गारंटी होती तो राजस्थान का आदिवासी समुदाय ना तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रहता और ना ही अपनी जीविका के जरुरी साधन जमीन से। मिसाल के लिए इन तथ्यों पर गौर करें।राजस्थान की कुल आबादी में आदिवासी समुदाय की तादाद १२.४४ फीसदी है और साक्षरता-दर है ४४.७ फीसदी जबकि सूबे की औसत साक्षरता दर इससे कहीं ज्यादा ऊंची(६१.०३ फीसदी) है। क्या शिक्षा...
More »मनरेगा- सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा, केंद्र को दोषी ठहराया
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मनरेगा योजना लागू करने में नाकाम रहने लिए केंद्र और उड़ीसा सरकार को दोषी करार दिया है। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को पूछा कि ग्रामीणों को रोजगार की गारंटी देने वाली इस योजना की वित्तीय अनियमितता की जांच सीबीआइ को क्यों नहीं सौंप दी जाए? प्रधान न्यायाधीश एस.एच. कपाड़िया की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और उड़ीसा को इस योजना को लागू करने में...
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