जनसत्ता 23 जून, 2012: अगर हमारे देश में ग्रामीण निर्धन वर्ग और विशेषकर भूमिहीन वर्ग को टिकाऊ तौर पर संतोषजनक आजीविका मिले इसके लिए भूमि-सुधार बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण द्वारा जिस तरह तेजी से बहुत-से किसानों खासकर आदिवासियों की जमीन लेकर उन्हें भूमिहीन बनाया जा रहा है, उस पर रोक भी लगानी होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण सवालों के न्यायसंगत समाधान के लिए इस वर्ष के आरंभ से एक प्रयास...
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जल के निजीकरण के खतरे-निरंकार सिंह
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल ने यह कहकर चौंका दिया है कि सरकार पानी के निजीकरण पर विचार कर रही है। राष्ट्रीय जल नीति इस माह के अंत तक घोषित कर दी जाएगी। बंसल के मुताबिक जल संसाधन मंत्रालय ने जल नीति का मसौदा कई माह पहले तैयार कर लिया था। इस बारे में लगातार विशेषज्ञों और संबंधित लोगों से चर्चा हो रही है। नीति का जो मसौदा...
More »मिट्टी हमारा साथ छोड़ रही है -अनिल जोशी
जीवन के मूल संसाधनों को लेकर कही गई पुरानी कहावतें आज के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा सही लगती हैं। मिट्टी भी उनमें से एक है। माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदें मोय, इक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूगी तोय। यह दोहा आज सटीक बैठ रहा है। मिट्टी के मोल अब पुराने नहीं रहे। यह भी अन्य प्राकृतिक संसाधनों की तरह विलुप्त होती जा रही है। यह संकट बड़ा है, क्योंकि...
More »अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे जंगल
नयी दिल्ली : दुनिया के करीब सात अरब लोगों को प्राणवायु ( ऑक्सीजन ) प्रदान करनेवाले जंगल आज खुद अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यदि जल्द ही इन्हें बचाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाये गये तो ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं विकराल रूप ले लेंगी. पटना में लंबे समय से जंगलों को बचाने के लिए काम कर रही संस्था तरूमित्र के प्रमुख फ़ादर राबर्ट ने बताया...
More »बकरी चराने, सूखी लकड़ियां बटोरने पर मुकदमा!- अंबरीश
लखनऊ, 11 दिसंबर। कैमूर क्षेत्र की महिलाएं पंद्रह हजार से ज्यादा फर्जी मुकदमों में फंसी हैं। इनमें से ज्यादातर मुकदमे मिर्जापुर, चंदौली और सोनभद्र जिले की दलित और आदिवासी महिलाओं पर हैं। अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर सोनभद्र में सैकड़ों महिलाओं ने प्रदर्शन कर चेतावनी दी कि अगर एक महीने में इन मुकदमों को वापस नहीं लिया गया तो जनवरी के अंत में ‘जेल भरो आंदोलन’ शुरू किया जाएगा।...
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