इन दिनों देश के प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. सैद्धांतिक रूप से यह मान लिया गया है कि प्रशासन का ब्रिटिश ढांचा भारतीय परिस्थिति में नहीं सफल हो रहा. महात्मा गांधी ने जो गांवों के सरकार की कल्पना की थी वही देश को ढंग से चलाने का कारगर तरीका हो सकता है. इसके लिए कई सालों से विकेंद्रीकरण की कोशिशें की जा रही...
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सिर्फ कागजों में पुख्ता है खाद्यान्न भंडारण
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अनाज भंडारण की कमी और बंपर बर्बादी की आशंकाओं पर चौतरफा आलोचना झेल रहे केंद्र ने अब राज्यों से मदद की गुहार लगाई है। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने राज्यों से एकमुश्त छह महीने का राशन का अनाज उठा लेने का आग्रह किया है। सरकारी बहीखातों में खाद्यान्न भंडारण का प्रबंधन पुख्ता जरूर है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं दूर है। कागजी बंदोबस्त में भी...
More »मीडिया के नए मापदंड- पुण्य प्रसून वाजपेयी
अपराध जगत की खबर देने वाला एक पत्रकार मारा गया। मारे गए पत्रकार को अपराध जगत की बिसात पर प्यादा भी एक दूसरे पत्रकार ने बनाया। सरकारी गवाह एक तीसरा पत्रकार ही बना। यानी अपराध जगत से जुड़ी खबरें तलाशते पत्रकार कब अपराध जगत के लिए काम करने लगे, यह पत्रकारों को पता ही नहीं चला। या फिर पत्रकारीय होड़ ही कुछ ऐसी बन चुकी है कि पत्रकार अगर खबर बनते लोगों का...
More »ANALYSIS: बनी रहेगी महंगाई- प्रकाश सिन्हा
आर्थिक सर्वे 2011-12 में आम आदमी और महंगाई को फिलहाल कोई राहत नहीं मिलती दिख रही है। हालांकि सरकार सकारात्मक विकास और महंगाई को कम करने के लिए लगातार प्रयासरत है। ऐसे में वित्त वर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही के बाद महंगाई पर काफी हद तक कंट्रोल देखने को मिल सकता है। वहीं बाजार में नकदी भी भारी मात्रा में आने की संभावना है। दिलचस्प है कि सरकार ने 2013 में जीडीपी...
More »शिकायत निवारण और लोकपाल- पाणिनी आनंद
जनसत्ता 19 दिसंबर, 2011: अण्णा समूह द्वारा प्रस्तावित जन लोकपाल कानून के प्रारूप को लेकर जो चिंताएं सबसे ज्यादा गंभीर हैं उनमें से एक है शिकायत निवारण की व्यवस्था को इसी एक कानून में अंतर्निहित करना। ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ (आईएसी) की ओर से शिकायत निवारण की व्यवस्था को लेकर एक बार फिर नया सुर सुनने को मिल रहा है कि इसे सिटिजन चार्टर यानी नागरिक संहिता के जरिए देखा जाए और इसे...
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