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पातालकोट में पौष्टिक अनाजों की खेती -बाबा मायाराम

“हमारे इलाके में परंपरागत देसी बीज लुप्त हो रहे थे, लेकिन अब हम उनको बचा रहे हैं, उनकी खेती कर रहे हैं। इससे सालभर के भोजन के लिए अनाज तो मिलता ही है, बाजार में भी बेच लेते हैं।” यह ज्ञान शाह भारती थे, जो पातालकोट के घाना कौड़िया गांव के निवासी हैं। पातालकोट, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की तामिया तहसील में है। यह सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच स्थित है।...

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दुनिया के हर पांचवे बच्चे को नहीं मिल रहा पर्याप्त पानी: यूनिसेफ

-डाउन टू अर्थ, दुनिया के हर पांचवे बच्चे के पास उसकी रोज की जरूरतों को पूरा करने लिए पर्याप्त पानी नहीं है। वैश्विक स्तर पर देखें तो करीब 142 करोड़ लोग उन स्थानों पर रहते हैं जहां पानी की भारी कमी है। इनमें 45 करोड़ बच्चे भी शामिल हैं। यह जानकारी यूनिसेफ द्वारा 18 मार्च 2021 को जारी विश्लेषण में सामने आई है। आंकड़ों से पता चला है कि 80 से ज्यादा...

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आत्मनिर्भर खेती की ओर - बाबा मायाराम

“पहले मैं रासायनिक खेती करता था, लेकिन इससे धीरे-धीरे मेरे खेत की मिट्टी जवाब देने लगी, उत्पादन कम होने लगा। इसके बाद मैंने जैविक खेती शुरू की। जैविक खाद व जैव कीटनाशक बनाना सीखा। खेती में अच्छा उत्पादन लिया, मिट्टी में सुधार हुआ। अब मैं दूसरों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण देता हूं।” यह ओडिशा के सुदाम साहू थे, जो बरगढ़ जिले के कांटापाली गांव में रहते...

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कोरोना काल में भारी मानसिक दबाव में रहे 20 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ता

-डाउन टू अर्थ, कोरोना महामारी से लड़ते वक्त दुनिया भर के 20 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ता भारी मानसिक दबाव में थे। यह जानकारी एक अंतराष्ट्रीय अध्ययन में सामने आई है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण है यह बात हर किसी को पता है। जिस बहादुरी के साथ उन्होंने इस महामारी के समय लोगों की मदद की है वो स्पष्ट करता है कि उन्हें कोरोना वारियर ऐसे ही नहीं कहा जाता।...

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झज्जर, हरियाणा में रहने वाले जगपाल सिंह फोगाट और उनकी पत्नी, मुकेश देवी मधुमक्खी पालन और शहद की प्रोसेसिंग कर ‘नेचर फ्रेश’ के नाम से ग्राहकों तक पहुँचाते हैं।

-द बेटर इंडिया, लोगों को आज सामान्य खेती में कोई खास भविष्य नजर नहीं आ रहा है। इसलिए, बहुत से किसान परिवार खेती छोड़कर दूसरे रोजगार तलाश रहे हैं। लेकिन वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने खेती से जुड़े दूसरे विकल्पों में सफलता तलाशी है। इनका मानना है कि जब देश के बाकी क्षेत्रों में लगातार बदलाव हो रहे हैं तो कृषि क्षेत्र क्यों पीछे रहे? कृषि को भी आधुनिक...

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