चंपारण सत्याग्रह में औरतें पहली बार हिंदुस्तान की जमीनी राजनीति से जुड़ीं और यह औरतों की भागीदारी का बुनियाद बन गया. सूत कातना और खादी बुनना गरीब से गरीब महिला भी अपने घर में कर सकती थी. लाखों वॉलंटियरों, विशेषकर महिलाओं को, जो अपना घर नहीं छोड़ सकतीं थीं और पढ़ी-लिखी भी नहीं थी, अब आंदोलन भाग ले सकती थीं. इन कार्यों ने सबको बदला-शक्तिशाली और कमजोर को, मर्द को...
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सरकारी शाहखर्ची और बदहाल किसान-- संजीव पांडेय
र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...
More »RBI ने कहा- बैंक चाहें तो कर्ज सस्ता करने की पूरी गुंजाइश
नई दिल्ली। देश में महंगाई में मामूली वृद्धि होने की पूरी गुंजाइश है लेकिन इसके बावजूद कर्ज की दरों में कमी हो सकती है। मौद्रिक नीति तय करने के लिए गठित समिति (एमपीसी) की पिछली बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने स्वयं ही यह बात कही। पटेल ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि बैंक ब्याज दरों में कटौती का पूरा फायदा अभी तक ग्राहकों...
More »खानपान थोपने की बेजा कोशिशें - मृणाल पांडे
पिछले कुछ समय से भारतीय खानपान के लोकतंत्र में मांसाहार के खिलाफ शाकाहार के स्वयंभू रक्षकों ने एक अजीब सा धावा बोल रखा है। भारतीय परंपरा की शुचिता बनाए रखने की अपील करते हुए वे देश के सभी लोगों को जबरन मांसाहार से शाकाहार की तरफ हांक रहे हैं। संभव है कि उनको किसी हद तक शाकाहारी धड़े के मन की बनावट की कुछ जानकारी हो, किंतु वे इस महत्वपूर्ण...
More »बच्चों को बीमार कर रही हैं बड़ों की उम्मीदें और दबाव- ऋतु सारस्वत
अवसाद अब बड़ों की व्याधि नहीं रही, वह बच्चों को भी गिरफ्त में ले रही है। हाल ही में ‘दक्षिण पूर्व एशिया में किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति : कार्रवाई का सबूत' नामक विश्व स्वास्थ्य की रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि भारत में 13 से 15 साल की उम्र के हर चार बच्चों में से एक बच्चा अवसाद से ग्रस्त है और आठ प्रतिशत किशोर चिंता की वजह...
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