खंडवा। सुमित अवस्थी। कम वजन के बच्चे, खांसी और बुखार से ग्रसित लेकिन डॉक्टरी इलाज की जगह झाड़-फूंक पर भरोसा। किसी बच्चे के गले में लहसुन की माला तो किसी के पीपल के पत्ते। किसी को मतरा हुआ पानी दिया जा रहा है तो कोई नाड़ा बांधे हुए है। पिछले 45 दिन में चार बच्चों की मौत के बाद भी कुपोषित बच्चों को न तो मां-बाप बाल शक्ति केंद्र ला...
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मध्यप्रदेश-- श्योपुर क्षेत्र में एक ही दिन में मिले 240 कुपोषित बच्चे
योपुर। कुपोषण के हालात जानने के लिए जिन 10 टीमों को गांवों में भेजा गया, उन टीमों ने पहले दिन ही 66 गांवों से 240 कुपोषित बच्चे ढूंढ निकाले। इनमें से 83 अति कुपोषित बच्चे हैं, जिनको एनआरसी में भर्ती करवाना शुरू कर दिया गया है। जिले में कुपोषण के हालात इतने भयाभह हैं कि सारी तैयारियांं और संशाध्ान कम पड़ रहे हैं। हालत यह है कि एनआरसी में बेड नहीं...
More »18 घंटे किया इंतजार, शव को साइकिल रिक्शा में रख पहुंचे अस्पताल
रायगढ़। घरघोड़ा के गांव भेंद्रा में सरकारी तंत्र की लापरवाही और मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। मंगलवार दोपहर गाज गिरने से रामलाल राठिया(45) की मौत हो गई थी। परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को शाम 4 बजे कर दी, लेकिन पुलिसकर्मी बुधवार सुबह 9:30 बजे वहां पहुंचे। जब परिजनों ने पुलिस से शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाने को बात कही तो उन्होंने इससे इनकार...
More »11 साल बाद यूपी के इस गांव में फिर पहुंची बिजली
उत्तर प्रदेश के एक गांव में मंगलवार (13 सितंबर) को पूरे 11 साल बाद बिजली आ सकी। जिस गांव में पिछले 11 साल से बिजली नहीं थी उसका नाम बिधिया है। वह एटा जिले में पड़ता है। इस गांव में बिजली लाने का श्रय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो जाता ही है लेकिन साथ-साथ इसमें वहां रहने वाली एक लड़की का भी बहुत योगदान है। दरअसल, 23 साल की दीप्ति...
More »नवाचारों से ज्यादा जरूरी है बिजली व्यवस्था में सुधार
मनीष वैद्य। बिजली के क्षेत्र में मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना और उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देना, मप्र बिजली वितरण कंपनी और इससे जुड़े विभागों का घोषित उद्देश्य है। मगर खेद है कि ये सब मिलकर भी इस एक उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहे। आंकड़ों का मायाजाल बताता है कि बिजली संबंधी व्यवस्थाएं सुधारने के लिए बीते कुछ सालों में करोड़ों रुपए खर्च किए गए। साथ ही...
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