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वादा किया है तो देंगे बेरोजगारी भत्ता: अखिलेश( अंबरीश कुमार की रिपोर्ट)

लखनऊ, 15 मार्च। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव जब समाजवादी क्रांति रथ लेकर निकले, तो सबसे ज्यादा भीड़ नौजवानों की उमड़ी थी। यह वह भीड़ थी, जिसे लेकर हर दल का अलग अलग आकलन था पर नतीजों ने बताया कि नौजवान अखिलेश यादव के साथ थे। पर गुरुवार से सत्ता संभालने जा रहे अखिलेश की प्राथमिकता में भी यही नौजवान हैं। उन्होंने बुधवार को यहां कहा कि राज्य...

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बजट सत्र : प्रसूताओं की मौत पर पिछली बार रोया, इस बार फिर उठेगा मामला!

जोधपुर.संक्रमित ग्लूकोज चढ़ाने से शहर के उम्मेद अस्पताल में एक साल पहले हुई 16 प्रसूताओं की मौत का मामला इस बार भी विधानसभा के बजट सत्र में उठेगा। पिछली बार इस मामले पर विधानसभा में हंगामा हुआ था, जबकि इस बार जांच रिपोर्टो में सभी आरोपियों को निदरेष साबित करने पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा। सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास ने सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि...

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पोंटी के प्यार में यूपी सरकार- जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट

 शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की गाजियाबाद स्थित परियोजना वेव सिटी अपनी शुरुआत से ही नियम-कायदों की भयानक अनदेखी और किसानों के दमन का उदाहरण रही है.जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट बताती है कि किस तरह उत्तर प्रदेश में अलग-अलग समय पर रही सरकारों ने इस परियोजना के प्रति खास दरियादिली दिखाई किस्तों में कत्ल हुआ मेरा, कभी खंजर बदल गए, कभी कातिल बदल गए... कुछ ऐसी ही पीड़ा है गाजियाबाद से सटे नायफल...

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सत्ता में दलित- श्योराज सिंह बेचैन

Dalits pain मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जब जातियों के आधार पर राजनीतिक गोलबंदी तेज हो गई है, सही मायने में कांशीराम ही अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने व्यवस्था बदलने के लिए जाति के समाप्त होने का इंतजार नहीं किया था। उन्होंने जातियों, उप-जातियों में सहअस्तित्व और आत्मसम्मान की भावना जगाकर उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी की महत्वाकांक्षा के साथ संगठित किया। समकालीन राजनीति में उनके इस योगदान ने न केवल हाशिये पर...

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प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी

अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...

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